रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने रूसी अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में गुरुवार को एक बड़े पत्रकार-सम्मेलन को सम्बोधित किया। राष्ट्रपति पूतिन ने बताया कि सन् 2013 में रूस की विकास-दर 1.4 प्रतिशत से लेकर 1.5 प्रतिशत के लगभग रही है और देश में मुद्रास्फीति की दर 6.1 प्रतिशत रही है। उसी समय रूसी नागरिकों के वेतन में 5.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। व्लादीमिर पूतिन ने बताया कि रूस की आर्थिक विकास-दर कम रहने के प्रमुख कारण विदेशी नहीं बल्कि घरेलू रहे हैं। हालाँकि रूस की अर्थव्यवस्था विश्व अर्थव्यवस्था में चल रहे संकट को भी महसूस कर रही है।
अन्तरराष्ट्रीय सवालों की बात करते हुए राष्ट्रपति पूतिन ने कहा कि रूस ने सीरियाई संकट का राजनीतिक समाधान करने और ईरान की परमाणविक समस्या को हल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन इन सवालों का समाधान करते हुए रूस ने चीन, अमरीका और दूसरे देशों के साथ भी सहयोग किया है। उनके सहयोग के बिना ये समस्याएँ हल कर पाना असम्भव होता। व्लदीमिर पूतिन ने कहा — अमरीकी, यूरोपीय और चीनी दोस्तों के साथ ही ये सफलताएँ हमें प्राप्त हुई हैं, उनके बिना ये सफलताएँ नहीं मिली होतीं।
इस सवाल का जवाब देते हुए कि रूस द्वारा स्नोडेन को शरण देने का रूस और अमरीका के रिश्तों पर क्या असर पड़ा, रूस के राष्ट्रपति ने कहा कि रूस ने स्नोडेन से अमरीका द्वारा की जा रही इलैक्ट्रोनिक जासूसी का विवरण पाने और रूस में अमरीकी जासूसों की गतिविधियों की जानकारी पाने की कोई कोशिश नहीं की। व्लदीमिर पूतिन ने कहा :
मैं पहले भी कह चुका हूँ और अब फिर अपनी पेशेवर भाषा में कहना चाहता हूँ कि हम स्नोडेन के साथ काम नहीं कर रहे हैं और हमने कभी उनके साथ सहयोग नहीं किया। हम उनसे कोई भी इस तरह का सवाल नहीं पूछते हैं कि जहाँ वे काम कर रहे थे, वहाँ रूस की जासूसी करने के लिए क्या किया जा रहा था।
पड़ोसी देश उक्राइना को लेकर रूसी नज़रिए को स्पष्ट करते हुए रूस के राष्ट्रपति ने कहा कि रूस ने उक्राइना की अर्थव्यवस्था की वास्तविक हालत का अध्ययन करके उसे कठिनाईयों से निकालने के लिए ही उसकी सहायता करने का निर्णय लिया। उक्राइना हमारा बन्धु देश है और रूस को इस परिस्थिति में उसकी सहायता करनी चाहिए। पूतिन ने उक्राइना को घटी दरों पर गैस की आपूर्त्ति करने के रूस के निर्णय को भी एक व्यावहारिक निर्णय बताया। पूतिन ने कहा कि रूस उक्राइना के यूरोसंघ से जुड़ने का विरोधी नहीं है, लेकिन रूस अपने बाज़ार को बचाएगा यदि कीयेव स्वाधीन राज्य मण्डल के देशों के साथ रिश्तों का विकास करने की जगह यूरोप के साथ जाएगा।
दुनिया की सामाजिकता से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए व्लदीमिर पूतिन ने कहा कि जिस समाज के अपने पारम्परिक मूल्य नहीं होते हैं, वह समाज गर्त में गिर जाता है। मेरे लिए पश्चिमी मूल्यों की आलोचना करना महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि उन नकली मूल्यों से अपनी जनता को बचाना महत्त्वपूर्ण है, जिन्हें हमारी जनता मुश्किल से ही स्वीकार पाती है। इसलिए रूस की सरकार उन सामाजिक गुटों से अपने देश की जनता को बचाने के लिए सब कुछ करेगी, जो न केवल अपने उन मूल्यों के अनुसार ख़ुद रहते हैं, बल्कि जो दूसरे लोगों पर और दूसरे देशों पर भी ज़बरदस्ती अपने मूल्य थोपने की कोशिश कर रहे हैं। यह एक सन्तुलित नज़रिया है। इसे रूढ़िवादी नज़रिया कहा जाता है, लेकिन जैसाकि प्रसिद्ध रूसी दार्शनिक बिरद्याएव का कहना था –रूढ़िवाद वो नहीं है जो आगे बढ़ने में और ऊपर चढ़ने में बाधा नहीं डालता। रूढ़िवाद तो वह है जो पीछे की ओर लौटने में और नीचे की ओर जाने में बाधा डालता है। व्लदीमिर पूतिन ने कहा — रूस एक बेहद प्राचीन और बेहद सम्पन्न संस्कृति वाला देश है। सिर्फ़ इस सांस्कृतिक परम्परा की सहायता से ही, इसे आधार बनाकर ही हम विश्वासपूर्वक आगे बढ़ सकते हैं।
आगामी शीत ओलम्पिक खेलों की चर्चा करते हुए व्लदीमिर पूतिन ने कहा कि इन खेलों के मेजबान के रूप में रूस यह चाहता है कि सभी खिलाड़ियों के लिए अच्छी स्थितियाँ पैदा की जाएँ और ये ओलम्पिक खेल अच्छे तरीके से सम्पन्न हो जाएँ। हालाँकि सभी रूसी लोग यह चाहते हैं कि उनमें रूसी खिलड़ी जीतें और वे अपने खिलाड़ियों से अधिकाधिक पदक जीतने की आस लगाए हुए हैं। लेकिन फिर भी खिलाड़ियों से ऐसा करने की माँग नहीं की जा सकती है। व्लदीमिर पूतिन ने कहा :
मैं अपने रूसी खिलाड़ियों से यह चाहता हूँ कि वे अपना कौशल दिखाएँ ताकि हम उनके कौशल को देखकर ख़ुश हों। खेल तो आम तौर पर सम्भावना से जुड़े होते हैं। कई बार बड़े-बड़े प्रसिद्ध खिलाड़ियों की भी जीत की भविष्यवाणी करना मुश्किल होता है। कुछ भी हो सकता है। पैर मुड़ जाए, धक्का लग जाए, पैर फिसल जाए, जीवन में कुछ भी हो सकता है। लेकिन मेरा ख़याल है कि उनके प्रशंसक उन्हें सब माफ़ कर देंगे। मैं एक बार फिर कहता हूँ कि खेलों में आपका कौशल ही सब कुछ होता है। और जो जितना महारथी होता है, विजय उसी के हाथ लगती है।
अगले साल सोची में शीत ओलम्पिक खेलों का आयोजन किया जाएगा। ओलम्पिक खेल शुरू होने में सिर्फ़ 50 दिन बाक़ी रह गए हैं।
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