पंद्रहवीं शताब्दी में काशी कि धार्मिक स्थिति संकटकाल से गुजर रही थी। बनारस का वैदिक धर्म इतना रूढ़िग्रस्त हो गया था कि उसमें किसी तरह के सुधार कि ओर लोगों का ध्यान नहीं जाता था। तत्कालीन काशी से लेकर कश्मीर तक वैदिक धर्म ने लोगों कि विचार-शक्ति को कुचल-सा दिया था,और सर्वसाधारण के मन में एक विचित्र किस्म का सूनापन छा रहा था।
इसी का परिणाम था कि काशी से कश्मीर तक के उच्च -वर्ग के लोग प्रायः इस्लाम की दुहाई दे रहे थे और निम्न जातियों के लोग तो इस्लाम कबूल ही करते जा रहे थे। ऐसे समय में जब म्लेच्छों का प्रभाव गंगा नदी के वेग की तरह पूरे देश को प्रभावित कर रहा था,रामानन्द ,कबीर ,कीनाराम प्रभूति महापुरुषों का प्रादुर्भाव हुआ। कबीर उन जातिगत ,कुलगत,संस्कारगत और सम्प्रदायगत भावों को तोड़ कर एक ऐसे समाज कि स्थापना का स्वप्न देखते थे जिसमें मनुष्य एक था और प्रेम का मार्ग ही असल मार्ग था।
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- » नई दिल्ली। एयर इंडिया के यात्री विमानों में दुर्व्यवहार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। एयर इंडिया की फ्लाइट में यात्री पर पेशाब करने की एक और घटना सामने आई है। बताया जा रहा है कि नशे में धुत एक शख्स ने बगल में बैठे पैसेंजर पर पेशाब कर दी। यह विमान दिल्ली से बैंकॉक जा रहा था। एअर इंडिया के स्टेटमेंट के मुताबिक यह घटना 9 अप्रैल की है। केबिन क्रू ने बताया कि दिल्ली-बैंकॉक फ्लाइट (AI2336) में एक पैसेंजर ने नियम के खिलाफ बर्ताव किया। मामले को डायरेक्टरेट ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) के अफसरों को बता दिया गया है। मामले पर नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू ने कहा कि अगर कुछ भी गलत हुआ है तो हम जरूरी कार्रवाई करेंगे। एयरलाइन ने बताया कि क्रू ने सारे नियम-कायदे फॉलो किए थे। इसके बाद अधिकारियों को मामले की जानकारी दी। पेशाब करने वाले पैसेंजर को चेतावनी भी दी गई। यही नहीं, क्रू ने पीड़ित यात्री को बैंकॉक में अधिकारियों के सामने शिकायत उठाने में सहायता करने की पेशकश की, जिससे उसने इनकार कर दिया। एअर इंडिया के स्पोक्सपर्सन ने कहा कि घटना का आकलन करने और आरोपी यात्री के खिलाफ एक्शन तय करने के लिए एक स्वतंत्र स्टैंडिंग कमेटी गठित की जाएगी। मामले की जांच के लिए DGCA के स्टैंडिंग ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) को फॉलो किया जाएगा। बता दें कि इससे पहले भी इस तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने एअर इंडिया फ्लाइट में 2022 में हुई पेशाब कांड मामले को लेकर केंद्र और DGCA को गाइडलाइंस बनाने का निर्देश पिछले साल 26 नवंबर को दिया था। कोर्ट ने कहा था कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए रचनात्मक कदम उठाने की जरूरत है।
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