नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय रेलवे के 163 वर्षो के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि सभी रेलवे कर्मचारियों को शामिल करके इतने बड़े पैमाने पर आयोजित किया जा रहा हो। इस शिविर का उद्देश्य रेल क्षेत्र के सतत विकास के लिए रेलवे परिचालन के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नवाचारी लेकिन व्यावहारिक विचारों का सृजन करना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर भारतीय रेलवे अपने समस्त संगठन को पूरे स्तर पर शामिल करके तीन दिवसीय (18 नवम्बर से 20 नवम्बर, 2016 तक) रेल विकास शिविर का दिल्ली के पास सूरजकुंड में एक मेगा कार्यक्रम के रूप में आयोजन कर रहा है। कर्मचारियों में गैंगमैन से लेकर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन शामिल होंगे।
यह शिविर इस मायने में रेलवे के अन्य सम्मेलनों से अलग है कि यहां न केवल बाह्य वक्ता इस बात में भागीदारी कर रहे हैं कि रेलवे को क्या करना चाहिए बल्कि सभी स्तरों से संबंधित रेलवे कर्मचारियों को भी आपस में नए विचारों का योगदान देने के लिए और निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस शिविर से भारतीय रेलवे के लिए यह विजन जुटाने में मदद मिलेगी कि इससे संबंधित हर कर्मचारी व्यापार, आकांक्षाओं और भारतीय रेलवे की सामाजिक प्रतिबद्धताओं को प्रतिबिंबित करेगा।
यह शिविर भारतीय रेलवे के इतिहास में महत्वपूर्ण है। इसके परिणामों से भारतीय रेलवे को कायाकल्प, परिवर्तन, आधुनिकीकरण, कार्यकुशलता और उत्पादकता के मार्ग पर तेजी से बढ़ाने में मदद मिलने की संभावना है। इस प्रकार के परिणाम पहले नहीं देखे गए हैं। ऐसा भारतीय रेलवे को विश्व स्तरीय रेलवे प्रणाली बनाने के दृष्टिकोण से किया जा रहा है।
इस शिविर का महत्वपूर्ण पल वह होगा जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद शिविर के पहले दिन देश के आर्थिक विकास के लिए रेलवे क्षेत्र के बारे में अपने मन की बात बताने के साथ-साथ इस मेगा आयोजन के लिए एजेंडा तय करने हेतु अपने दिशा-निर्देश और मार्गदर्शन देंगे। प्रधानमंत्री का संबोधन प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली और सूरजकुंड में शिविर स्थल के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से किया जाएगा। प्रधानमंत्री शिविर के समापन दिवस पर प्रतिभागियों के साथ एक विस्तृत बातचीत करने के लिए व्यक्तिगत रूप से फिर से उपस्थित रहेंगे।