मुंबई, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। स्मार्ट मशीनों को पूर्ण स्वायत्तता देना संभव नहीं है या इसकी जरूरत नहीं है और स्वायत्त वाहनों के मामले में भी अतिरेक के अंतिम बिंदु पर मानव की जरूरत बनी रहेगी।
रिसर्च कंपनी गार्टनर की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में यह बात कही गई है। गार्टनर के शोध उपाध्यक्ष ब्रायन प्रेंटिस ने एक बयान में कहा, “मशीन को सिखाने के समाधान में अभी कई अनसुलझी समस्याएं हैं। जैसे कहीं मशीनें सिस्टम को हैक न कर ले। इसलिए वास्तविक दुनिया की समस्याओं के समाधान के लिए बड़े पैमान पर बाजार समाधान के रूप में तैनात करने से पहले इन पर ध्यान देना जरूरी है।”
स्मार्ट मशीनें जैसे-जैसे पूर्ण स्वायत्तता की ओर बढ़ रही हैं, स्वायत्तता बनाम नियंत्रण को लेकर संतुलन बनाने की जरूरत बढ़ती जा रही है।
प्रेंटिस का कहना है कि गूगल की सेल्फ ड्राइविंग कार परियोजना इसका सटीक उदाहरण है कि स्मार्ट मशीनों को पूर्ण स्वायत्तता देना संभव नहीं है और न ही इसकी जरूरत है।
पूरी तरफ स्वायत्त किसी कार में भी नियंत्रण लेने के लिए एक स्टीयरिंग व्हील की जरूरत होगी। लेकिन किसी स्वायत्त कार में स्टीयरिंग व्हील लगाने का मतलब है कि एक लाइसेंसधारी ड्राइवर हमेशा उस कार में रहे जो जरूरत पड़ने पर कार का नियंत्रण अपने हाथ में ले सके।
इससे न सिर्फ स्वायत्त कारों से मिलनेवाले फायदे खत्म हो जाएगें, बल्कि ड्राइवरों की भूमिका भी सक्रिय रूप से कार को नियंत्रण में रखने की बजाय संभावित विफलता की निगरानी तक हो जाएगी।
प्रेंटिस कहते हैं, “पूरी तरह से स्वायत्त वाहन की सोच कभी वास्तविकता में नहीं बदल सकती। यह विज्ञान कथाओं में तो संभव है, लेकिन किसी कार निर्माता के लिए एक निश्चित समय सीमा में इसे बनाना संभव नहीं है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 तक स्मार्ट मशीनें शीर्ष पांच निवेश प्राथमिकताओं में होगी और कुल निवेश का 30 फीसदी इसमें किया जाएगा।