भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कई हजार टन सोना दबे होने की खबर फैलने के बाद हलचल मची है. सोना तो अभी तक केवल साधु के सपने में ही है लेकिन गांव से लेकर दिल्ली तक अधिकार जताने वाले खड़े हो गए हैं.
लखनऊ से 50 किलोमीटर दूर उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा गांव के एक साधु शोभन सरकार ने गांव में राजा राव बख्श सिंह के किले के अवशेषों में करीब तीन लाख करोड़ रुपए के स्वर्ण भंडार होने का सपना देखा और सरकार से खुदाई करने का आग्रह किया. शोभन के सपने के मुताबिक 19वीं शताब्दी के इस किले के नीचे 1000 टन सोना दबा है. इसे खोजने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग (जीएसआई) ने खुदाई शुरु कर दी जो महीना भर चल सकती है.
बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुदाई पर आपत्ति जताई है कि इससे देश का मजाक बनेगा जबकि यूपी के सप सांसद नरेश अग्रवाल कह चुके हैं कि सोना निकला तो उस पर यूपी सरकार का अधिकार होगा. सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में ही यह खुदाई होनी चाहिए. केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री चरण दास महंत ने इस बारे में प्रधानमंत्री से बात की है. कहा जा रहा है कि एक केंद्रीय मंत्री की सक्रियता के बाद ही एएसआई ने खुदाई का फैसला किया है. हालांकि एएसआई के सर्किल प्रभारी अरुण कुमार मिश्र इससे इनकार करते हैं. वह इससे भी इनकार करते हैं कि यहां खुदाई शुरु करने से पहले कोई सर्वे किया गया. उनके मुताबिक यह स्थान पहले से ही रिपोर्टेड साइट रहा है.
कितना सोना
सोने में दिलचस्पी का कारण साफ है. भारतीय रिजर्व बैंक में भी सिर्फ 557 टन सोना है. अगर 1000 टन सोना निकल आया तो सरकार का सारा राजकोषीय घाटा खत्म हो जाएगा और कर्ज भी उतर जाएगा. आंकड़े बिठाए जा रहे हैं कि इतने सोने से 3300 करोड़ की लागत से चलने वाली मनरेगा को 10 साल और चलाया जा सकता है. इसका 20 फीसदी 60 हजार करोड़ रुपए होता है़, यूपी में इसे विकास पर खर्च कर दें तो करीब 23 हजार किलोमीटर सड़कें बन जाएंगी. 18 हजार स्कूल और 25 हजार करोड़ की लागत से 22 किलोमीटर की मेट्रो चलने लगेगी. करीब 9 हजार अस्पताल बन जाएंगे और कई बिजली परियोजनाएं लग जाएंगी. सोना निकला तो यूपी देश का सबसे विकासित राज्य बनकर विश्व के विकसित देशों की बराबरी करने लगेगा. लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डीपी तिवारी के मुताबिक जिस राजा के खजाने की बात हो रही है उनके पास इतनी बड़ी रियासत नहीं थी कि उनका इतना बड़ा खजाना हो.
करीब 400 परिवारों वाले डौंडियाखेड़ा के लोगों की संत शोभन के प्रति बड़ी श्रद्धा है. सभी मानते हैं कि शोभन ने जो सपना देखा है वह सच साबित होगा. सभी उत्साहित हैं. कोई कह रहा है गांव में बिजली लगे तो कोई गंगा पर पुल चाहता है. कोई स्कूल तो कोई अस्पताल. गांव का विकास इस सोने से सभी चाहते हैं. कौतुहूल का आलम यह है कि धारा 144 लगानी पड़ी. खुदाई वाले स्थान पर मेला लगा है. कई विदेशी पत्रकार भी मौजूद हैं. पीपली लाइव!
किसका खजाना
राजा राव राम बख्श सिंह भर जाति के राजा थे. 1857 में अग्रेंजों के खिलाफ अवध के नवाब का साथ देने पर अंग्रेजों ने उन्हें पेड़ पर लटका कर फांसी दे दी और उनका किला ध्वस्त कर दिया. ब्रिटिश इतिहासकारों ने उन्हें क्रिमिनल ट्राइब की श्रेणी में रखते हुए अपराधी लिखा है. राजा राव करीब सात परगने के राजा थे और कानपुर में सोने का व्यापार भी करते थे.
मुजफ्फरनगर के बघरा के मांढी गांव के एक खेत में सन 2000 में अचानक सोना निकलने लगा. माढी परिषद के अध्यक्ष रहे राम पाल मांढी के मुताबिक करीब 40 किलो सोना मालखाने में जमा हुआ और बाकी जिसको मिला वह लूट ले गया. अंदाजा लगाते हुए बताते हैं कि एक टन सोना तो निकला ही होगा. पड़ोसी जिले बागपत जिले के शेखपुरा की हवेली के तहखाने में भी हजारों टन सोना दबा होने का वर्षों से दावा किया जा रहा है. इस हवेली की रखवाली यहां के ग्रामीण करते हैं. फतेहपुर के आदमपुर के खजाने का तो नजरी नक्शा तक तैयार है जहां ढाई हजार टन सोना दबा होने की बात की जाती है. ऐसे कई और स्थान भी हैं.
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