केदारनाथ। मौसम की करवटों के बीच आखिरकार सतासी दिन बाद केदारनाथ में पसरा सन्नाटा खत्म हुआ। घंटे-घड़ियाल की ध्वनि के बीच वेद मंत्रों की गूंज के साथ मंदिर को शुद्ध कर नियमित पूजा-अर्चना शुरू हो गई। चुनिंदा लोगों की उपस्थिति में केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग की अगुआई में तीर्थ पुरोहितों ने पारंपरिक रीति-रिवाज से धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराया। अभी मंदिर में केवल बाबा की पूजा शुरू कराई गई है। यात्रियों को बाबा के दर्शन के लिए अभी कुछ समय और इंतजार करना पड़ेगा।
मौसम की खराबी के कारण मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा केदारनाथ नहीं पहुंच पाए। दोपहर देहरादून से चला मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर गौरीकुंड से वापस लौट गया।
बुधवार को निर्धारित समय के अनुसार सुबह सवा सात बजे केदारनाथ मंदिर के कपाट का ताला खोला गया। आपदा के बाद उपजे हालात को देखते हुए मंदिर के कपाट बंद करने पड़े थे। तभी से बाबा केदारनाथ की पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में हो रही थी। बुधवार को हवन के बाद आपदा के शिकार लोगों की आत्मा की शांति, देश-प्रदेश के कल्याण और समाज के उत्थान की कामना की गई।
आपदा के दौरान मुख्य मंदिर के पिछले हिस्से में आकर रुकी विशाल शिला की भी विशेष पूजा की गई। माना गया कि इसी शिला की बदौलत केदार बाबा के मंदिर को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
पूजा-अनुष्ठान के दौरान कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल प्रमुख रूप से मौजूद थे। यात्रा के लिए वक्त मुफीद न बताने वाले पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक पैदल ही समर्थकों के साथ केदारनाथ के लिए कूच कर गए। फाटा में उनकी पुलिस से हल्की नोकझोंक भी हुई।