पिछले कुछ दिनों में ग्रहों की जो स्थिति बन रही है उसे देखकर ज्योतिषशास्त्री भी चिंतित हैं। क्योंकि ज्योतिषशास्त्र में पाप ग्रह के रूप में माने जाने वाले ग्रह राहु और शनि दोनों ही स्वाति नक्षत्र में चल रहे हैं जिसका स्वामी शुक्र ग्रह है।
शनि और राहु के विषय में कहा जाता है कि इन दोनों के गुणों में समानता है। यानी दोनों ही क्रूर हैं। इन दोनों क्रूर ग्रहों को मंगल अपनी दृष्टि से और क्रूर बना रहा है। इन दिनों मंगल शनि और राहु को देख रहा है और शनि मंगल को। ग्रहों की यह स्थिति देश और दुनिया के लिए अनुकूल नहीं है।
भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी के अध्यक्ष प्रतीक मिश्रपुरी ने कहा कि जब भी ग्रहों की यह स्थिति हुई है घुसपैठ एवं सीमा पर तनाव बढ़ा है। हाल के दंगे भी उसी का परिणाम हैं। 30 अक्तूबर को शुक्र गुरू की राशि में पहुंचेंगे और इससे शत्रु राशि में चल रहे गुरू के साथ इनका पूर्ण दृष्टि संबंध बनेगा।
गुरू बृहस्पति देवों के गुरु हैं और शुक्र असुरों के इसलिए दोनों का आमने-समाने आना शुभ नहीं माना जाता है। इन दोनों ग्रहों का संबंध दिसम्बर माह के प्रथम सप्ताह तक रहेगा।
इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था के प्रति सजग रहना होगा अन्यथा कई दुर्घटनाएं एवं रक्तपात की घटनाएं हो सकती हैं। प्राकृतिक आपदाओं की भी संभावना रहेगी। अप्रैल माह के बाद ग्रहों की स्थित बदलेगी और परिणाम अनुकूल प्राप्त होंगे।