महाभारत की कथा के अनुसार एक झूठ के जाल में फंसाकर पाण्डवों ने छल से द्रोणाचार्य का वध कर दिया। इससे क्रोधित होकर द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने पाण्डवों से बदला लेने की ठान ली।
एक रात चुपके से अश्वत्थामा पाण्डवों के शिविर में प्रवेश कर गया। उसने देखा कि शिविर में पांच लोग सोए हुए हैं, जिसे पांचों पाण्डव मानकर अश्वत्थामा ने नींद में ही उनकी हत्या कर दी। असल में यह पाण्डवों के पुत्र थे।
पुत्रों की हत्या की सूचना पाकर पांचों पाण्डव क्रोधित हो गए। भीम अपनी गदा लेकर अश्वत्थामा का पीछा किया तो वह भागते-भागते अष्टभा क्षेत्र में पहुंच गया। अष्टभा क्षेत्र वर्तमान में गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा के पास स्थित है।
ज्योतिषशास्त्र की पत्रिका ज्योति सागर के सितम्बर अंक में अष्टभा क्षेत्र के विषय में बताया गया है कि इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के अनुसार यहां पर भीम और अश्वत्थामा के बीच भयंकर गदा युद्घ हुआ था।
भीम के एक तीव्र प्रहार से अश्वत्थामा से हाथों से गदा छूट गया। इसके बाद जब भीम ने प्रहार किया तब अश्वत्थामा पीछ हट गया जिससे गदा भूमि से जा टकराई। गदा के प्रचंड प्रहार से एक गड्ढ़ा बन गया। इसमें भूमि से निकलकर पानी भरने लगा और यह कुण्ड बन गया।
इस कुण्ड में लोग श्रद्घा पूर्वक स्नान ध्यान करते हैं। कुंड के विषय में माना जाता है कि जब भी इसकी फोटो ली गई तस्वीर में कुंड नहीं दिखा। इस कुंड के पास ही एक और कुंड है जिसे अश्वत्थामा कुंड के नाम से जाना जाता है।
इस कुंड में यहां के निवासी तेल चढ़ाते हैं। इनकी मान्यता है कि सिर पर से मणि निकलने के बाद अश्वत्थामा के सिर पर घाव हो गया था। कुंड में तेल चढ़ाने से अश्वत्थामा के घाव को आराम मिलता है।
इस क्षेत्र के निवासियों का यह भी कहना है कि चिरंजीवी अश्वत्थामा आज भी इस क्षेत्र में निवास करते हैं और मार्ग में भटके हुए लोगों को राह दिखाते हैं।