देहरादून। केदारघाटी का पुरोहित समाज प्रस्तावित केदारनाथ विकास प्राधिकरण के विरोध में उठ खड़ा हुआ है। उसने 11 सितंबर को होने वाली केदारनाथ की पूजा में तीर्थ पुरोहितों व स्थानीय लोगों को शामिल न किए जाने पर भी कड़ा ऐतराज जताया है।
पुरोहितों का कहना है कि सरकार का रवैया केदारघाटी के लोगों में हताशा एवं निराशा पैदा करने वाला है। अन्यथा अब तक तो घाटी के लोगों का जीवन पटरी पर लौटने लगता। गुप्तकाशी में गुरुवार को हुई केदारसभा की बैठक में तीर्थ पुरोहितों ने 11 सितंबर को होने वाली केदारनाथ की पूजा के औचित्य पर सवाल खड़े किए। उनका कहना था कि जब पूजा में स्थानीय लोग, तीर्थ पुरोहित व यात्री शामिल नहीं हो सकते तो आखिर वह किसके लिए कराई जा रही है। यह तो उन्हें अपने ही घर से बेदखल करने की साजिश हुई। वक्ताओं ने सरकार के उन दावों को खारिज कर दिया, जिनमें फेज-2 के कार्य तेज गति से होने की बात कही जा रही है।
उन्होंने कहा कि फेज-1 में सड़क व पुल निर्माण का जो कार्य होना था, वह तीन महीने बाद भी ज्यों का त्यों है। ऐसे में हक-हकूक धारियों से किनारा कर पूजा कैसे निर्बाध जारी रह पाएगी। बैठक में प्रस्तावित केदारनाथ विकास प्राधिकरण का भी कड़ा विरोध किया गया। सभा के अध्यक्ष महेश बगवाड़ी ने बैठक में लिए निर्णयों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बैठक में सभी का मत था कि वर्तमान में सबसे बड़ी जरूरत जीवन को पटरी पर लाने की है। लेकिन, इसके लिए सरकार ने कुछ नहीं किया। क्षेत्रीय विधायक की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए वक्ताओं ने कहा कि विधायक प्राधिकरण का अध्यक्ष बनना चाहती हैं। इसलिए वह क्षेत्र में भी कहीं नजर नहीं आ रहीं। सर्वसम्मति से तय हुआ कि उनके अध्यक्ष बनने के बावजूद तीर्थ पुरोहित उन्हें क्षेत्र में नहीं घुसने देंगे।
केदारसभा के अध्यक्ष महेश बगवाड़ी की अध्यक्षता में हुई बैठक में महामंत्री महेश शुक्ला, विष्णुकांत, श्रवण शुक्ला, माधव कर्नाटकी, कुबेरनाथ पोस्ती, विपिन सेमवाल, पुरुषोत्तम शुक्ला, कपिल शुक्ला आदि ने विचार रखे। बैठक में 200 से अधिक तीर्थ पुरोहित शामिल हुए।में सबसे बड़ी जरूरत जीवन को पटरी पर लाने की है। लेकिन, इसके लिए सरकार ने कुछ नहीं किया। क्षेत्रीय विधायक की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए वक्ताओं ने कहा कि विधायक प्राधिकरण का अध्यक्ष बनना चाहती हैं। इसलिए वह क्षेत्र में भी कहीं नजर नहीं आ रहीं। सर्वसम्मति से तय हुआ कि उनके अध्यक्ष बनने के बावजूद तीर्थ पुरोहित उन्हें क्षेत्र में नहीं घुसने देंगे। केदारसभा के अध्यक्ष महेश बगवाड़ी की अध्यक्षता में हुई बैठक में महामंत्री महेश शुक्ला, विष्णुकांत, श्रवण शुक्ला, माधव कर्नाटकी, कुबेरनाथ पोस्ती, विपिन सेमवाल, पुरुषोत्तम शुक्ला, कपिल शुक्ला आदि ने विचार रखे। बैठक में 200 से अधिक तीर्थ पुरोहित शामिल हुए।