भारत– उरी सेक्टर में फिदायीन हमला हुआ हमने नहीं हमारे राजनेताओं ने बयान जारी किये कड़ी कार्यवाही की जायेगी.हम बयान जारी कर भी नहीं सकते क्योंकि जिन्हें जिम्मेदारी सौंपी है उन्हें पता है राष्ट्र की स्थिति के सम्बन्ध में.आर्थिक ,राजनैतिक,भौगोलिक,गृह,स्वास्थ्य,शिक्षा आदि की स्थिति ये आज के राजा याने नेता जो जुमले दे कर भारत पर सत्ता सुख भोग रहे.विगत दिनों देखा गया मीडिया पर नकेल कसने की कोशिशें की गयीं.चैनल के समूह खरीदे गए उन पर आर्थिक कब्जा जमाया गया यह संकेत है राष्ट्र कमजोर है ताकतवर नहीं.
यदि हम ताकतवर होते उस स्थिति में पाकिस्तान की हिम्मत नहीं थी वह एक भी नापाक हरकत हमारी सीमा में कर देता उसे यह सब करने का स्वप्न भी नहीं आता.आज राष्ट्र के नागरिकों को मंथन करना होगा की क्या जो सत्ता उन्हें बता रही है भारत ताकतवर हो रहा है विश्व-गुरु बन रहा है वह सत्य की धरातल पर है या सिर्फ एक जुमला है.उरी सेक्टर में आर्मी कैम्प पर हमला एवं सैनिकों की शहादत तो समय की धुंध धुंधली कर देगी लेकिन राष्ट्र को झूठ की धुंध में रखने वाले भारत के राजनेता राष्ट्र को अपनी स्वार्थपरक राजनीतिक स्वार्थों के चलते कितनी बड़ी सजा दे रहे हैं वह माफ़ी योग्य नहीं है.
राजनाथ सिंह जो वर्तमान में भारत के गृहमंत्री हैं की पीड़ा उस समय की हमने देखी और सुनी है जब वे सत्ता में नहीं होते थे ,उनकी पडोसी राष्ट्रों द्वारा की जा रही अराजकता के विरोध में भरी गयी हुंकारें वह शेर की तरह गरजती आवाज ,सत्ता को उन मुद्दों पर उखाड़ फेंकने की तड़प के दृश्य आज भी मेरी नजरों में चल-चित्र की भाँति दृष्टिगोचर होते हैं .लेकिन सत्तानशीन होने के बाद पाकिस्तान द्वारा भारत के सपूतों की ह्त्या के बाद भी लाल -बत्ती छोड़ने की कवायद ये नेता नहीं कर पा रहे हैं.
महंगाई जैसी डायन से लड़ने की बजे महंगे सूट,दिन में बदलते पहर के साथ नए विन्यास ,राजसी ठाट-बात प्रधानमन्त्री जी का शगल हो चुके हैं .प्रधानमन्त्री के 56 इंच का सीना होने के दावों पर अब संदेह जनता उत्पन्न कर रही है.सवाल यह उठ रहा है की यदि भारत मजबूत स्थिति में है तब पकिस्तान उससे पंगा लेने की जुर्रत क्यों कर रहा है ये पंगे वह चीन से तो कभी नहीं लेता.
सीधी और सच्ची बात यह है की भारत के खोखले हो चुके ढाँचे पर जुमलों का मुलम्मा चढ़ा कर शहीदों के रक्त से लबरेज कर दिया गया है .होश में यदि नहीं आये तो भारत की जनता की बदहाली के जिम्मेदार पडोसी शासक नहीं अपने ही होंगे .जय हिन्द
लेखक-अनिल सिंह
ये लेखक के अपने विचार हैं -धर्मपथ