नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने कावेरी जल विवाद पर गुरुवार को तमिलनाडु और कर्नाटक सरकारों को राज्य में विरोध-प्रदर्शनों पर रोकथाम न लगाने पर लताड़ लगाई और कहा कि उम्मीद है कि दोनों राज्य कानून का सम्मान करते हुए शांति बहाल करेंगे।
अदालत को जब बताया गया कि कर्नाटक में गुरुवार को हड़ताल और ‘रेल रोको’ का आह्वान किया गया है, जबकि तमिलनाडु में शुक्रवार को बंद का अह्वान किया गया है तो न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ बंद और विरोध-प्रदर्शनों की इजाजत नहीं दी जा सकती।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने 12 सितंबर को दिए आदेश के बाद दोनों राज्यों में फैली अशांति पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “लोग कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते। इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाना कर्नाटक और तमिलनाडु की जिम्मेदारी है।”
सर्वोच्च अदालत ने कहा, “हमें मजबूर होकर यह कहना पड़ रहा है कि यह राज्यों को दायित्व है कि वे इन विरोध-प्रदर्शनों और सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान होने से बचाएं।”
अदालत ने कहा, “हम यह उम्मीद और विश्वास करते हैं कि दोनों राज्यों में शांति बहाल करने, सौहार्द कायम करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने तथा इन सबसे ऊपर कानून का सम्मान करने की दिशा में बुद्धिमानी से काम लिया जाएगा।”
उल्लेखनीय है कि कन्याकुमारी के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने जनहित याचिका दायर कर अदालत से कर्नाटक और तमिलनाडु को हिंसा और विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगाने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को अदालत ने ये बातें कहीं।
अदालत ने दोनों राज्यों को नोटिस जारी किया और मामले पर अगली सुनवाई 20 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
सर्वोच्च अदालत ने 12 सितंबर को दिए अपने आदेश में कर्नाटक सरकार को तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी से प्रतिदिन 12,000 क्यूसेक जल छोड़ने के लिए कहा था। इससे पहले अदालत ने पांच सितंबर को 10 दिनों तक 15,000 क्यूसेक जल छोड़ने का आदेश दिया था, जिसमें 12 सितंबर के आदेश में सुधार किया गया।