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 जीका वायरस आंसुओं में जिंदा रह सकता है : शोध | dharmpath.com

Monday , 25 November 2024

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जीका वायरस आंसुओं में जिंदा रह सकता है : शोध

जीका वायरस सामान्यत मच्छर के काटने से फैलता है, जिससे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है और गर्भस्थ शिशु की मौत भी हो सकती है।

गर्भावस्था के दौरान शिशु इस वायरस की चपेट में आ सकता है, और उसकी आंखों में भी बीमारियां हो सकती हैं। इस समस्या में रेटिना के नुकसान से लेकर जन्म के बाद अंधापन शामिल है।

इस शोध में कहा गया है कि वयस्कों में जीका का असर अपेक्षाकृत कम होता है। इससे कंजेक्टिवाइटिस, आंखें लाल होना, आंखों में खुजली होना जैसी बीमारियां होती हैं। साथ ही हमेशा के लिए आंखों की रोशनी भी जा सकती है।

जीका का आंखों पर असर जांचने के लिए शोधदल ने चूहों पर प्रयोग किया। इसमें पाया गया कि जीका का वायरस संक्रमण के एक हफ्ते बाद तक आंखों में जीवित रहता है।

वाशिंगटन विश्वविद्यालय के प्रोफेस माइकेल एस. डायमंड का कहना है, “हमारे शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि आंखें जीका वायरस के लिए जलाशय का काम करती हैं।”

इसके बाद शोधकर्ता जीका से पीड़ित मरीजों पर यह शोध करने की तैयारी कर रहे हैं।

वाशिंगटन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजेंद्र एस. आप्टे का कहना है, “हम मरीजों की जांच कर यह देखेंगे कि वायरस का कॉर्निया पर क्या असर होता है। क्योंकि इससे कॉर्निया के प्रत्यारोपण में परेशानी पैदा हो सकती है।”

अब तक जीका वायरस की पहचान के लिए रक्त के नमूनों का परीक्षण किया जाता रहा है। अब इस शोध के बाद आंखों के पानी के नमूनों से भी जीका की पहचान की जा सकेगी।

यह शोध ‘सेल रिपोर्ट्स’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

जीका वायरस आंसुओं में जिंदा रह सकता है : शोध Reviewed by on . जीका वायरस सामान्यत मच्छर के काटने से फैलता है, जिससे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है और गर्भस्थ शिशु की मौत भी हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान शिशु इस वायरस की च जीका वायरस सामान्यत मच्छर के काटने से फैलता है, जिससे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है और गर्भस्थ शिशु की मौत भी हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान शिशु इस वायरस की च Rating:
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