नई दिल्ली, 7 सितम्बर (आईएएनएस)। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने भू-जल के उपयोग में संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि देश के बड़े हिस्से में व्यापक पैमाने पर भू-जल का बिना सोचे समझे उपयोग करने से जलस्तर में काफी कमी आई है और जल की गुणवत्ता पर भी बुरा असर पड़ा है।
नई दिल्ली में बुधवार को अपने मंत्रालय की संसदीय परामर्श समिति की बैठक में मंत्री ने कहा कि कृषि, औद्योगिक उपयोग और पेयजल के लिए भू-जल की मांग बढ़ने, फसल के तरीकों में बदलाव और अधिक पानी की खपत वाली धान और नकदी फसलों को उगाने, शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्रों में वर्षा की कमी, सूखे के दौरान अन्य सभी संसाधनों के कम होने पर भू-जल का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल और तेजी से शहरीकरण होने के परिणामस्वरूप प्राकृतिक पुनर्भरण के लिए जलदायी स्तर में तेजी से कमी आयी है, जो भू-जल स्तर में कमी के लिए जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि हमें वर्षा जल संचयन के अभियान को जन-जन तक पहुंचाना होगा, तभी ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ का हमारा नारा सफल होगा।
स्थिति को गंभीर बताते हुए उमा भारती ने भू-जल के उपयोग में संयम बरतने के लिए जन जागरूकता आंदोलन का आह्वान किया है। मंत्री सदस्यों को जानकारी दी कि केंद्रीय भू-जल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने पिछले 10 वर्षो में जलस्तर में उतार-चढ़ाव का आकलन करने के लिए जलस्तर में बदलाव का दशकीय विश्लेषण किया गया। मॉनसून पूर्व (मार्च/अप्रैल/मई 2016) जलस्तर के आंकड़ों की दशकीय औसत (2006-2015) के साथ तुलना करने पर पाया गया कि अरुणाचल प्रदेश, गोवा, पांडिचेरी,तमिलनाडु और त्रिपुरा को छोड़कर देश के लगभग सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 50 प्रतिशत से अधिक कुओं में ज्यादातर 0-2 मीटर तक भू-जल स्तर में कमी दर्ज की गई। आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, दादरा और नागरहवेली, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा,कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के इलाकों में चार मीटर से अधिक की कमी देखी गई।
भारती ने कहा कि देश में भू-जल से संबंधित संगठनों के लिए भू-जल प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि भू-जल संसाधनों में आ रही गिरावट को रोकने में महत्वपूर्ण प्रबंध के लिए भू-जल तथा वर्षा जल संचय को कृत्रिम रूप से रि-चार्ज करना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय ने सभी राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों को मॉडल बिल भेजा है ताकि राज्य भू-जल के नियमन और विकास के बारे में उचित कानून बना सके। इनमें वर्षा जल संचय का प्रावधान शामिल है। अब तक 15 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों ने मॉडल बिल का अनुसरण करते हुए भू-जल कानून बनाया और लागू किया है।