नई दिल्ली, 7 सितम्बर (आईएएनएस)। नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) द्वारा प्रख्यात इतिहासकार बिपिन चंद्रा की पुस्तक को सूची से हटाने को लेकर एनबीटी आलोचकों के निशाने पर आ गया है।
दिल्ली स्थित सामाजिक संगठन ‘सहमत’ ने बिपिन चंद्रा की 104 पृष्ठों की पुस्तक ‘सांप्रदायिकता : एक प्रवेशिका’ को हिंदी पुस्तकों की अपनी सूची से हटाने का फैसला किया है।
सहमत ने बुधवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा, “बिपिन चंद्रा न सिर्फ देश के सर्वश्रेष्ठ इतिहासकारों में से एक हैं, बल्कि देश में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों से समझौता न करने वाले लोगों में सर्वोपरि हैं। एनबीटी अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने इस संस्था में नई जान फूंकी।”
वक्तव्य में आगे कहा गया है, “हमें यह जानकार हैरानी हुई कि एनबीटी ने अपने पूर्व अध्यक्ष की पुस्तक के हिंदी संस्करण का पुनर्मुद्रण रोकने का फैसला किया है। यह भी पता लगा है कि पुस्तक के अंग्रेजी और ऊर्दू संस्करणों का मुद्रण भी बंद किया जा रहा है।”
सहमत ने अपने वक्तव्य में कहा, “एनबीटी का यह कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन है और उन धारणाओं की पुष्टि करता है जिसमें कहा जा रहा है कि सांप्रदायिकता अब देश का आधिकारिक सिद्धांत बन चुका है और इसकी आलोचना करने वालों या सांप्रदायिकता फैलाने वालों की आलोचना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
सहमत के इस वक्तव्य पर देश के लब्धप्रतिष्ठित अकादमिक इरफान हबीब, रोमिला थापर, डी. एन. झा, प्रभात पटनायक और के. एन. पणिक्कर ने हस्ताक्षर किए हैं।