हांगझू, 4 सितंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पाकिस्तान के अशांत इलाके से चलाए जा रहे आतंकवाद को लेकर भारतीय चिंता से अवगत कराया। इस क्षेत्र में 46 अरब डॉलर की लागत से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का निर्माण किया जा रहा है।
हांगझू शहर में जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर शी के साथ 35 मिनट की मुलाकात के दौरान मोदी ने कहा, “दिल्ली और बीजिंग को एक-दूसरे के सामरिक हितों के प्रति संवेदनशील होना होगा।”
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने भारतीय संवाददाताओं से कहा, “मोदी ने कहा कि यह सर्वोच्च महत्व की बात है कि दोनों देशों को एक-दूसरे की आकांक्षाओं, चिंताओं और सामरिक हितों का सम्मान करना चाहिए।”
46 अरब डॉलर की लागत वाला निर्माणाधीन चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा अशांत बलूचिस्तान, गिलगित-बल्टिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है।
शी के साथ बातचीत के दौरान मोदी ने कहा कि विशकेक में चीनी दूतावास पर हमला आतंकवाद के नासूर का एक और प्रमाण है।
मोदी ने चीनी राष्ट्रपति से कहा कि आतंकवाद को लेकर हमारी प्रतिक्रिया राजनीति से अभिप्रेरित नहीं होनी चाहिए। मोदी का इशारा साफ तौर पर पाकिस्तान की ओर था जो भारत का चिर प्रतिद्वंद्वी और चीन का सदाबहार मित्र है।
ब्रिक्स देशों के नेताओं के साथ बैठक में मोदी ने कहा, “दक्षिण एशिया या कही भी आतंकवादियों के पास बैंक या हथियार की फैक्ट्री नहीं है और वे वित्त पोषित हैं।”
जब स्वरूप से पूछा गया कि शी के साथ बैठक में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता का मुद्दा उठा या नहीं, तो उन्होंने इस बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
स्वरूप ने कहा, “जब हम हमारी सामरिक हितों, चिंताओं और आकांक्षाओं की बात करते हैं तो ऐसा नहीं है कि चीन हमारी सामरिक चिंतिाओं, हितों या आकांक्षाओं से अनभिज्ञ है और हम उनकी चिंताओं, आकांक्षाओं और हितों से अनभिज्ञ हैं। यह कुछ ऐसा है जो दोनों पक्षों को पता है।”
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, शी ने मोदी से कहा कि वह भारत के साथ निर्मित मजबूत संबंधों को कड़ी मेहनत से बनाए रखना चाहते हैं और अपने सहयोग को और आगे बढ़ाना चाहते हैं।