नई दिल्ली, 3 सितम्बर (आईएएनएस)। रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन (आरएफआईडी) प्रौद्योगिकी के उपयोग से भारत के पश्चिमी गलियारे में इस साल एक जुलाई को शुरू किए गए एक्जिम कंटेनर ट्रैकिंग ने बंदरगाहों, आईसीडी/सीएफएस और टोल प्लाजा में 20 स्थानों को कवर करने वाले 1,500 किलोमीटर में फैले दिल्ली-मुंबई गलियारे (डीएमआईसीडीसी) की लॉजिस्टिक डाटा बैंक (एलडीबी) परियोजना के तहत 5,32,000 कंटेनरों की आवाजाही को कवर किया।
आरएफआईडी प्रौद्योगिकी मुंबई में जवाहर लाल नेहरू पोर्ट से शुरू होकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के दादरी में इनलैंड कंटेनर डिपो तक सही समय पर ट्रैकिंग जानकारी प्रदान करती है, और यह एक ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध है।
यह न केवल कंटेनर की आवाजाही में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि यह लॉजिस्टिक आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में भी काफी दक्षता लाएगा। यह सूची के स्तर को कम कर और उत्पादन योजनाओं की सटीकता में सुधार कर शिपिंग के प्रमुख समय को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
यहां जारी एक बयान के अनुसार, डीएमआईसीडीसी और जापानी आईटी क्षेत्र के प्रमुख एनईसी कॉरपोरेशन ने लॉजिस्टिक डाटा बैंक (एलडीबी) सेवा को स्थापित करने के लिए बराबर की इक्विटी भागीदारी के साथ एक संयुक्त उद्यम – ‘डीएमआईसीडीसी’ का गठन किया है, जो इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) और अंतिम उपयोगकर्ता के लिए सभी बंदरगाहों में कंटेनर की आवाजाही की ट्रैकिंग करेगा और उनपर नजर रखेगा।
डीएमआईसीडीसी के सीईओ और एमडी अल्केश शर्मा ने कहा कि यह परियोजना एक व्यापक समाधान होगी, जो एकल खिड़की में विस्तृत वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करने के लिए आपूर्ति श्रृंखला में विभिन्न एजेंसियों के साथ उपलब्ध जानकारी को एकीकृत करेगी।
शर्मा ने कहा कि एलडीबी पोर्टल ने पहले से ही 3,000 से अधिक यूजर्स को उनके कंटेनर ट्रैकिंग में मदद की है और यूजर्स से उनके कंटेनरों को ठिकाने पर लगाने के लिए 200 से अधिक कॉल प्राप्त किए हैं।
राष्ट्रीय कंटेनर फ्रेट स्टेशन संघ (एनएसीएफएस) के अध्यक्ष, आर. आर. जोशी ने कहा, “यह भारत में रसद क्षेत्र में एक बहुत जरूरी प्रणाली है, जब एक आम आदमी एक एकीकृत प्रणाली के माध्यम से एक कूरियर को ट्रैक कर सकता है, तब लाखों रुपये के माल को वहन करने वाले कंटेनर पर अवश्य नजर रखी जानी चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति पहले से योजना बना सके।”