लखनऊ, 31 अगस्त (आईएएनएस/आईपीएन)। राष्ट्रीय निषाद संघ (एनएएफ) ने उप्र सरकार से विमुक्ति जातियों को क्षेत्रीयता समाप्त कर महाराष्ट्र पैटर्न पर शिक्षा, सेवायोजन, बजट प्रोविजन, स्थानीय निर्वाचन आदि में जनसंख्या अनुपात में आरक्षण देने की मांग की।
लखनऊ, 31 अगस्त (आईएएनएस/आईपीएन)। राष्ट्रीय निषाद संघ (एनएएफ) ने उप्र सरकार से विमुक्ति जातियों को क्षेत्रीयता समाप्त कर महाराष्ट्र पैटर्न पर शिक्षा, सेवायोजन, बजट प्रोविजन, स्थानीय निर्वाचन आदि में जनसंख्या अनुपात में आरक्षण देने की मांग की।
विमुक्ति जाति दिवस के अवसर पर विमुक्ति जातियों के विभिन्न संगठनों व दलों कार्यक्रम में संघ के राष्ट्रीय सचिव चौधरी लौटन राम निषाद ने कहा कि उप्र की कुल जनसंख्या में 8.30 प्रतिशत विमुक्ति जातियों की संख्या है। विमुक्ति जाति की सूची में मल्लाह, केवट, कहार, लोध, भर, बंजारा, नायक, औधिया, मेवाती, जोगी आदि शामिल है तथा घुमंतू जनजाति के रूप में मदारी, कलंदर, सिगलीगर, बृजवासी, सपेरा, खुरपल्टा आदि 24 जातियां हैं।
वर्ष 2013 से पहले विमुक्ति जातियों को शिक्षण प्रशिक्षण में अनुसूचित जनजाति के समान आरक्षण का लाभ व छात्रवृत्ति आदि की सुविधाएं मिलती थी, परंतु 10 जून, 2013 के शासनादेशानुसार, विमुक्ति जातियों का आरक्षण खत्म कर दिया गया, जिससे इन जातियों के बच्चों का काफी नुकसान हुआ।
निषाद ने कहा कि एक तरफ समाजवादी पार्टी 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की बात करती है, दूसरी तरफ 1959 से मुक्ति जाति के नाम पर मिल रहे आरक्षण को खत्म कर इन जातियों के साथ सामाजिक अन्याय किया।
अपना दल के अध्यक्ष चौधरी परशुराम निषाद एडवोकेट की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. रामानंद राजभर ने केंद्र सरकार से पिछड़े वर्ग को तीन श्रेणियों में विभाजित करने की मांग को लेकर आंदोलन करने की आवश्यकता पर बल दिया। वहीं अपने अध्यक्षीय संबोधन में चौधरी परशुराम निषाद ने विमुक्त व अत्यंत पिछड़े वर्ग की जातियों से संबंधित संगठनों व पार्टियों के प्रमुखों से एकजुट होकर मिशन-2017 के लिए जुट जाने का आह्वान किया।
बैठक में आगामी 15 सितंबर को राय रामचरण लाल निषाद पूर्व एमएलसी की जयंती लखनऊ में मनाने व जीपीओ पार्क तक रैली निकालने का निर्णय लिया गया।