वाशिंगटन, 31 अगस्त (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र महासभा के सितंबर में होने वाले सत्र से इतर अमेरिका-भारत-अफगानिस्तान की त्रिपक्षीय वार्ता से पहले वाशिंगटन ने कहा है कि वह भारत द्वारा अफगानिस्तान में रचनात्मक भूमिका जारी रखने के पक्ष में है।
नई दिल्ली की यात्रा पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री जान केरी ने मंगलवार को कहा कि द्वितीय भारत-अमेरिका रणनीतिक और वाणिज्यिक वार्ता के बाद त्रिपक्षीय वार्ता शुरू होगी। इसके बाद, विदेश विभाग के प्रवक्ता जान किर्बी ने कहा कि निर्धारित वार्ता महत्वपूर्ण है और इसे जारी रखा जाएगा।
किर्बी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मैं सोचता हूं कि जिस बात का महत्व है और जैसा कि मंत्री ने कहा भी है कि चर्चा महत्वपूर्ण है, इसलिए यह जारी रहेगी।”
किर्बी ने कहा कि केरी ने भारत के अफगानिस्तान में किए गए रचनात्मक कार्यो के बारे में बात की और कहा कि वह इस भूमिका को जारी रखने की अपेक्षा करते हैं। इसलिए हम यहां भविष्य पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
नई दिल्ली में द्विपक्षीय रणनीतिक और वाणिज्यिक वार्ता के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जान केरी ने कहा कि त्रिपक्षीय वार्ता ‘इलाके में सुरक्षा और प्रगति में हमारी केंद्रीय आपसी भूमिका की पुष्टि करेगी।’
केरी ने कहा, “मैं अफगानिस्तान में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए भारत को धन्यवाद देना चाहता हूं।”
भारत द्वारा अफगानिस्तान में हाल में पूरी की गई कई बड़ी परियोजनाओं में से एक संसद भवन का एक नए हिस्सा है। इसका उद्घाटन बीते साल 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी काबुल यात्रा के दौरान किया। इसके अलावा सलमा बांध का पुनर्निर्माण कर इसे अफगान-भारत मैत्री बांध नाम दिया गया। यह इस साल जून से काम करने लगा है।
केरी ने संकेत दिया कि अफगानिस्तान के अंदर सीमापार से होने वाले आतंकवादी हमलों का मुद्दा भी इस त्रिपक्षीय वार्ता में शामिल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट तौर पर हमारे, अफगानिस्तान के और भारत के फायदे के साथ पाकिस्तान के हित में भी है। हमें एक शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान चाहिए जो तालिबान या किसी दूसरे संगठन के कब्जे में न हो, जिससे वे इस क्षेत्र का इस्तेमाल आंतक फैलाने के लिए करे। “
केरी ने कहा कि इसलिए हमें आशा है कि एक लंबे समय तक चली वार्ता के जरिए हम सभी प्रयासों को मजबूत करने में समक्ष होंगे। इससे हमें संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाने में भी मदद मिलेगी। कई प्रयासों के जरिए और यह सब अफगान सरकार के मातहत ही है कि हम तालिबान को भी शांति प्रक्रिया में शामिल करना चाह रहे हैं।
इस संदर्भ में किर्बी ने कहा, “हम पाकिस्तान के अंदर और अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर हक्कानी नेटवर्क और दूसरे आंतकी समूहों से होने वाले सभी सुरक्षा खतरों को पहचानते हैं।”
किर्बी ने कहा, “हम पाकिस्तान के अंदर सक्रिय हक्कानी नेटवर्क और दूसरे चरमपंथी समूहों से पैदा होने वाले खतरे के विषय में पाकिस्तानी सहयोगियों के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं।”