नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)। अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने यहां बुधवार को दक्षिण चीन सागर पर फिलीपींस के साथ लगातार जारी विवाद पर चीन को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने आगाह किया कि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को कमतर नहीं आंका जाना चाहिए।
अमेरिकी राजनयिक ने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को मानने में भारत का उदाहरण दिया, जिसमें भारत ने बांग्लादेश से लगी समुद्री सीमा पर संयुक्त राष्ट्र के न्यायाधिकरण के एक फैसले को स्वीकार कर लिया था।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में अपने व्याख्यान के दौरान केरी ने कहा, “भारत का बांग्लादेश के साथ लगी समुद्री सीमा पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को स्वीकारने का निर्णय वास्तव में दूसरे देशों द्वारा प्रस्तुत अन्य विकल्पों से अलग है।”
उन्होंने कहा, “यह ऐसी नीति है, जो कानून के शासन का समर्थन करती है और मेरी समझ से यह आत्मविश्वास और एक जिम्मेदारी के भाव को प्रदर्शित करता है।”
केरी ने कहा, “यह एक नमूना है कि किस तरह कोई ऐसा विवाद जो संभवत: खतरनाक हो, उसे शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जा सकता है। इसमें दक्षिण चीन सागर भी है, जहां अमेरिका, चीन और फिलीपींस से लगातार अपील कर रहा है कि वे न्यायाधिकरण के हाल के अंतिम और कानूनी रूप से दोनों पक्षों पर बाध्यकारी फैसले को स्वीकार करें।”
उन्होंने कहा कि यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के मौजूदा नियमों को माना जाए और उस व्यवस्था के महत्व को कमतर नहीं आंका जाए।
दूसरी ओर चीन ने हेग स्थित विवाद निपटारे के स्थायी पंचाट, स्थायी मध्यस्थता न्यायालय(पीसीए) के सामरिक चट्टानों और प्रवाल द्वीपों पर हाल के फैसले को ठुकरा दिया है, जिसके बारे में चीन का दावा है कि इससे उसका दक्षिण चीन सागर के विवादित जल क्षेत्र पर नियंत्रण समाप्त हो जाएगा। फैसला फिलीपींस के पक्ष में था।
केरी ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच गहरे सहयोग की आधार रेखा यह है कि ये हमारे दोनों देशों के लिए तो बहुत अच्छा व्यवहार है ही, ये शेष दुनिया के लिए भी मायने रखता है।
केरी तीन दिवसीय भारत दौरे पर नई दिल्ली में हैं और इनका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने का कार्यक्रम है।