हैदराबाद, 25 अगस्त (आईएएनएस)। ब्राजील के शहर रियो डी जनेरियो में आयोजित 31वें ओलम्पिक खेलों में एकल वर्ग का रजत पदक जीतने वाली भारत की अग्रणी महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पुरसाला वेंकट सिंधु ने कहा है कि अब वह विश्व सुपरसीरीज पर ध्यान केंद्रित करेंगी क्योंकि यही एक पुरस्कार है, जो वह जीत नहीं सकी हैं।
हैदराबाद, 25 अगस्त (आईएएनएस)। ब्राजील के शहर रियो डी जनेरियो में आयोजित 31वें ओलम्पिक खेलों में एकल वर्ग का रजत पदक जीतने वाली भारत की अग्रणी महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पुरसाला वेंकट सिंधु ने कहा है कि अब वह विश्व सुपरसीरीज पर ध्यान केंद्रित करेंगी क्योंकि यही एक पुरस्कार है, जो वह जीत नहीं सकी हैं।
साथ ही सिंधु ने यह भी कहा कि वरीयता क्रम में नम्बर-1 की कुर्सी हासिल करना उनका अंतिम लक्ष्य है। सिंधु ने कहा कि ओलम्पिक में रजत जीतने के बाद अब वह अपने प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों की नजर में सबसे बड़ा निशाना होंगी।
हैदराबाद निवासी सिंधु ने जब अपने गृहप्रदेश और गृहनगर में प्रवेश किया तो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकारों ने उनका शानदार स्वागत किया। सिंधु ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि अब उनका सबसे पहला लक्ष्य सुपरसीरीज खिताब अपनी झोली में डालना है।
बीते साल डेनमार्क ओपन सुपरसीरीज आयोजन में उपविजेता रहीं सिंधु ने कहा, “मेरा पहला लक्ष्य सुपरसीरीज है। मैं इसी पर ध्यान केंद्रित करूंगी।”
विश्व की 10वीं वरीयता प्राप्त सिंधु के लिए नम्बर-1 की कुर्सी हमेशा से एक लक्ष्य रहा है। साल 2012 में शीर्ष-25 में शामिल होने के बाद सिंधु ने नम्बर-1 बनने का सपना देखा था।
विश्व चैम्पियनशिप में दो बार कांस्य पदक जीत चुकीं सिंधु ने कहा, “अगर आप लगातार टूर्नामेंट जीतते रहेंगे तो आप अपने आप नम्बर-1 बन जाएंगे। इसके लिए मुझे काफी मेहनत करनी होगी और अपना श्रेष्ठ देना होगा।”
सिंधु के लिए बैडमिंटन एक जुनून है। आठ साल की उम्र में बैडमिंटन रैकेट थामने वाली सिंधु के माता-पिता अंतर्राष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे हैं।
सिंधु ने कहा, “मेरी यात्रा कदम दर कदम रही है। पहले नेशनल सर्किट और फिर इंटरनेशनल सर्किट। मैं विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली पहली महिला बनी। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा लेकिन इसके बाद कई मौकों पर मैं चोट के कारण परेशान रही और कई मौकों पर मेरा प्रदर्शन खराब रहा। अंत में मैंने यह सब हासिल किया।”
सिंधु के कोच पुलेला गोपीचंद का मानना है कि सिंधु में अभी भी पूरा बदलाव नहीं आया है। अभी सिंधु को कई क्षेत्रों में काम करने की जरूरत है। बकौल सिंधु, “कोई एक चीज नहीं है। मैं हर स्ट्रोक खेल रही हूं और मेरे लिए यह अधिक जरूरी है कि मैं सीखने की प्रक्रिया जारी रखूं।”
क्या ओलम्पिक पदक जीतने के बाद उन पर हर बार कोर्ट पर जाने के बाद अच्छा खेलने का दबाव होगा? इस पर सिंधु ने कहा, “दबाव की बात नहीं है। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि मेरी तैयारी कैसी है। यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि किसी एक मैच के लिए मैं किस तरह की रणनीति लेकर चल रही हूं और उस पर कितना अमल कर पा रही हूं।”
स्पेन की केरोलिना मारिन के हाथों रियो ओलम्पिक के फाइनल में हारने वाली सिंधु ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अहम क्षणो में उन पर किसी प्रकार का दबाव था। बकौल सिंधु, “कोई दबाव नहीं था। मैंने अपना खेल खेला। वह अच्छा मैच था और मैंने मारिन को इसके लिए बधाई भी दी। वह काफी आक्रामक खेलीं।”
सिंधु यह भी मानती हैं कि दूसरे देशों की महिला खिलाड़ी भी इन दिनों अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और ऐसे में यह कहा जा सकता है कि चीनी खिलाड़ियों को हराया नहीं जा सकता।
सिंधु ने कहा, “इस साल कोई भी चीनी खिलाड़ी महिला एकल में नहीं थी। वे अच्छा खेलीं लेकिन जिस तरह से बाकी की देशों की खिलाड़ी अच्छा खेल रही हैं, इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि अब चीनी खिलाड़ियों का दबदबा खत्म हो गया है और उन्हें हराना असम्भव नहीं है।”
ओलम्पिक रजच जीतने के बाद सिंधु के लिए काफी कुछ बदल गया है। अब तक वह 13.5 करोड़ रुपये का पुरस्कार पा चुकी हैं और आने वाले दिनों में और भी पुरस्कारों की झड़ी लगने वाली है।
सिंधु ने कहा, “यह बिल्कुल अलग भावना है। मैं मानती हूं कि मेरी जिंदगी बदल गई है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ओलम्पिक में पदक जीतूंगी। यह मेरा पहला ओलम्पिक था। मैं वाकई बहुत खुश हूं। मेरे लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा है।”
सिंधु को इस बात की बेहद खुशी है कि उनकी जीत पर देश के शीर्ष नेता खुश हुए, महत्वपूर्ण लोगों ने खुशी मनाई। हर किसी ने उनके लिए प्रार्थना की। अमिताभ बच्चन ने ट्वीट किया कि वह उनके साथ सेल्फी लेना चाहते हैं और रजनीकांत ने कहा कि वह उनके मुरीद हो चुके हैं।
सिंधु ने कहा, “यह बहुत बड़ी बात है। इससे मुझे खुशी होती है। आज मैं उन सबको रीट्वीट कर रही हूं और धन्यवाद कर रही हूं। लाखों-करोड़ों लोगों ने मेरा साथ दिया। मैं समझती हूं कि उनके समर्थन, सहयोग, आशिर्वाद और प्रार्थना के कारण मुझे सफलता मिली।”