सरस्वती और लक्ष्मी में आपसी मतभेद है। लेकिन एक नक्षत्र ऐसा है जिसमें जन्म लेने पर सरस्वती और लक्ष्मी आपसी मतभेद भुलाकर व्यक्ति को कामयाब बनाने में सहयोग प्रदान करती हैं। इस नक्षत्र का नाम है श्रवण। हिन्दू धर्म में इसे बहुत ही पवित्र और उत्तम माना गया है।
इस नक्षत्र का नाम माता-पिता के भक्त श्रवण कुमार के नाम पर रखा गया है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति पर श्रवण कुमार का प्रभाव देखा जाता है यानी व्यक्ति माता-पिता का आज्ञाकारी होता है। चन्द्रमा इस नक्षत्र का स्वामी है और ज्ञान तथा विद्या प्रदान करने वाली सरस्वती इसकी देवी हैं। नक्षत्र के चरण मकर राशि में होते हैं।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति उदार और दायलु होते हैं। जरूरत के समय लोगों की पूरी-पूरी मदद करते हैं। सरल स्वभाव के कारण यह मित्रों एवं सगे-संबंधियों में लोकप्रिय होते हैं। गायन, अभिनय एवं दूसरी कलाओं में इनकी रूचि होती है।
इनकी बुद्घि प्रखर होती पढ़ने-लिखने में होशियार होते हैं। लक्ष्य के प्रति योजना बनाकर काम करना इनके व्यक्तित्व की एक बड़ी खूबी है। इसलिए जीवन में सफलता की ओर निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं। आमतौर पर इनका दांपत्य जीवन सुखद होता है और जीवनसाथी से बेहतर तालमेल बना रहता है।
इनके जीवन में तीस वर्ष तक काफी उतार-चढ़ाव और परिवर्तन होते हैं। इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कला एवं विज्ञान के क्षेत्र में यह कामयाब होते हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को त्वचा एवं कान से संबंधित रोग होने की संभावना प्रबल रहती है।