अलीगढ़ । एक गांव के मुस्लिम परिवार पांच दिन से हुक्का-पानी बंद होने की ‘सजा’ भुगत रहे हैं। जाट और मुस्लिमों के बीच रिश्तों में अचानक कड़वाहट इतनी बढ़ चुकी है कि पुलिस-प्रशासनिक अफसर ही नहीं, समाज के प्रभावशाली लोग तक इसे खत्म नहीं करा पा रहे।
जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर खैर क्षेत्र के दो गांव हैं पला चांद और निसूजा। पड़ोसी होने के नाते गांव वालों के एक दूसरे से अच्छे रिश्ते रहे हैं, लेकिन एक जुलाई की घटना ने दोनों के बीच नफरत की दीवार खड़ी कर दी। एक को हुआ यह कि निसूजा की एक युवती को खुर्जा (बुलंदशहर) के गांव डाबर का एक युवक भगा ले गया।
आरोप है कि खुर्जा का युवक पला चांद में रहने वाले दोस्त के घर आया था। यहीं उसने लड़की बुलाई और दोनों भाग गए। दोस्त भी साथ चला गया। पांच अगस्त को लड़की मथुरा की कोर्ट में पेश हो गई। यहां बयान दर्ज होने के बाद कोर्ट ने उसे नारी निकेतन भेज दिया।
हुआ टकराव
नौ अगस्त को पला चांद का युवक घर लौटा। वो गौंडा जाते वक्त गांव अरनी में लड़की के चाचा को मिल गया। यहां दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हुई। दोनों पक्षों ने रिपोर्ट भी लिखा दी। लड़की के भाई और दूसरे पक्ष के दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने दोनों पक्षों के 25-25 लोगों के मुचलके भी भरवा लिए।
बहिष्कार का फैसला
लड़की के भाई की गिरफ्तारी व चाचा को पकड़ने के लिए दबिश डालने से जाट समाज के लोग भड़क गए। 18 अगस्त को जाट समाज के दर्जनों गांवों की तलेसरा में पंचायत हुई, जिसमें पला चांद के मुसलमानों का सामाजिक बहिष्कार करने, व्यापारिक रिश्ते और संबंध तोड़ने का एलान किया गया।
पंचायत में पूर्व विधायक रामसखी कठेरिया, भाजपा जिलाध्यक्ष चौ. देवराज सिंह, महापौर शकुंतला भारती समेत कई भाजपाई भी शामिल हुए थे। जाट समाज ने अगले दिन एसएसपी से भी पुलिस की एकतरफा कार्रवाई पर रोष जताया था। खैर थाने में भी सुलह की कोशिश की गई, लेकिन जाट समाज के लोगों ने फैसला वापस लेने से इन्कार कर दिया।
दोनों गांवों के लोगों की बैठक ले चुका हूं। लड़की पक्ष के लोगों ने अपने ऊपर दर्ज केस वापस लेने की मांग की है। दोनों पक्षों को मिल-बैठकर सुलह करने की सलाह दी गई है। फिर, केस भी खत्म करा देंगे। फिलहाल, गांव में कोई तनाव नहीं है।
-धर्मवीर सिंह यादव, एसएसपी