नई दिल्ली।। मौजूदा संसद सत्र में खाद्य सुरक्षा बिल को हर हाल से पारित कराने के लिए बेचैन यूपीए सरकार की राह के रोड़े फिलहाल कम होते नहीं दिख रहे हैं। मंगलवार को बीजेपी ने कोयला घोटाले की फाइलें गायब होने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग करते हुए दोनों सदनों में जमकर हांगामा काटा, जिसकी वजह से राजीव गांधी के जन्मदिन पर खाद्य सुरक्षा बिल पर लोकसभा में चर्चा शुरू करने के कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फिर गया। कांग्रेस की कोशिश थी कि गुरुवार को इस पर बात आगे बढ़ाई जाए, लेकिन यह परवान नहीं चढ़ सकी। 11 सांसदों को निलंबित करने के संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ के प्रस्ताव पर भारी हंगामे की बीच लोकसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।
कांग्रेस की मुश्किल यह है कि उसे मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के साथ-साथ तेलंगाना के प्रस्ताव का विरोध कर रहे सीमांध्र के अपने सांसदों और टीडीपी से भी निपटना है। गुरुवार को संसदीय कार्यमंत्री ने लोकसभा में इस सत्र में हंगामा करने वाले टीडीपी के चार और कांग्रेस के सात सांसदों को मौजूदा सत्र की कार्यवाही से निलंबित करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन यह दांव भी फिलहाल उल्टा पड़ता दिख रहा है। बीजेपी इन सांसदों के बचाव में आ गई और प्रस्ताव पारित नहीं हो सका।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उनकी पार्टी सांसदों के निलंबन के खिलाफ है। उन्होंने कहा, ‘हम तेलंगाना राज्या बनाए जाने के पक्ष में हैं, लेकिन जिस अनुचित तरीके से कांग्रेस ने इसकी घोषणा की है उसी की वजह से इसका विरोध हो रहा है। एनडीए के शासन काल में भी राज्य बनाए गए थे लेकिन कोई विरोध की आवाज नहीं आई। कांग्रेस ने गैरजिम्मेदाराना तरीके से राज्यों का बंटवारा किया और यही वजह है कि उनके अपने सांसद भी विरोध कर रहे हैं।’
इस बीच, कांग्रेस ने संकेत दिया है कि कोयला घोटाला पर प्रधानमंत्री सदन में बयान दे सकते हैं। बीजेपी लगातार इसकी मांग कर रही है और संसद नहीं चलने दे रही है। सरकार ने मॉनसून सत्र की अवधि भी एक सप्ताह के लिए बढ़ा दी है। अब मॉनसून सेशन 5 सितंबर तक चलेगा। जाहिर है कि कांग्रेस हर हाल में मौजूदा सत्र में ही खाद्य सुरक्षा बिल पारित करवा लेना चाहती है।