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 गंगा सफाई पर 2958 करोड़ रुपये साफ, परिणाम सिफर | dharmpath.com

Saturday , 23 November 2024

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गंगा सफाई पर 2958 करोड़ रुपये साफ, परिणाम सिफर

लखनऊ, 2 अगस्त (आईएएनएस)। गंगा के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भावनात्मक जुड़ाव पर विपक्ष पहले से ही हमला कर रहा है। लेकिन अब आंकड़े भी बता रहे हैं कि भाजपा के पिछले दो वर्षो के शासन काल में गंगा की सफाई के लिए आवंटित 3,703 करोड़ रुपये में से 2,958 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन इस पतित पावनी नदी की दशा जस की तस बनी हुई है।

लखनऊ, 2 अगस्त (आईएएनएस)। गंगा के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भावनात्मक जुड़ाव पर विपक्ष पहले से ही हमला कर रहा है। लेकिन अब आंकड़े भी बता रहे हैं कि भाजपा के पिछले दो वर्षो के शासन काल में गंगा की सफाई के लिए आवंटित 3,703 करोड़ रुपये में से 2,958 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन इस पतित पावनी नदी की दशा जस की तस बनी हुई है।

लखनऊ की 10वीं कक्षा की ऐश्वर्य शर्मा नामक विद्यार्थी ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगी, जिसके जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जो खुलासा किया गया है, उससे साफ है कि बहुप्रचारित ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम ज्यादातर कागजों तक सीमित है। यही हाल पिछले 30 वर्षो के दौरान घोषित हुईं अन्य योजनाओं का रहा है।

लखनऊ की 14 वर्षीय इस लड़की ने नौ मई को भेजे अपने आरटीआई आवेदन में सात सवाल पूछे थे, जिसमें अबतक संवेदनशील मुद्दे, बजटीय प्रावधानों और खर्चो पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठकों के विवरण शामिल हैं। पीएमओ के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी सुब्रतो हजारा ने इन सवालों को जवाब के लिए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय के पास भेज दिया।

मंत्रालय के के.के. सप्रा ने चार जुलाई को जवाब दिया और इस जवाब से स्पष्ट हो गया है कि मोदी ने खासतौर से वाराणसी में जनता के बीच जो जुमला पेश किया था कि ‘गंगा मैया ने बुलाया है’, वह सिर्फ लोगों की भावनाएं भड़का कर वोट हासिल करने के लिए था।

मंत्रालय ने कहा है कि राष्ट्रीय गंगा सफाई मिशन के लिए 2014-15 में 2,137 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। बाद में इसमें 84 करोड़ रुपये की कटौती कर इसे 2,053 करोड़ रुपये कर दिया गया। लेकिन केंद्र सरकार ने भारी प्रचार-प्रसार के बावजूद सिर्फ 326 करोड़ रुपये खर्च किए, और इस तरह 1,700 करोड़ रुपये बिना खर्चे रह गए।

वर्ष 2015-16 में भी स्थिति कुछ खास नहीं बदली, और अलबत्ता केंद्र सरकार ने प्रस्तावित 2,750 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन को घटाकर 1,650 करोड़ रुपये कर दिया। संशोधित बजट में से 18 करोड़ रुपये 2015-16 में बिना खर्चे रह गया।

इस स्थिति से खिन्न ऐश्वर्य ने आईएएनएस से कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गंगा सफाई पर चलाए गए भारी अभियान को देखते हुए यह स्थिति बिल्कुल चौंकाने वाली है।” ऐश्वर्य ने कहा कि वह इस स्थिति से अत्यंत निराश है।

उसने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष (2016-17) में आवंटित 2,500 करोड़ रुपये में से अबतक कितना खर्चा गया, केंद्र सरकार के पास उसका कोई विवरण मौजूद नहीं है।

ऐश्वर्य ने ‘मोदी अंकल’ से यह भी जानना चाहा है कि वह इस महत्वपूर्ण परियोजना को लेकर गंभीर क्यों नहीं है? जो इस बात से स्पष्ट है कि राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) की तीन बैठकों में से प्रधानमंत्री ने सिर्फ एक बैठक की अध्यक्षता 26 मार्च, 2014 को की थी। अन्य दो बैठकों की अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने की थी, जो 27 अक्टूबर, 2014 और चार जुलाई, 2016 को हुई थीं।

जबकि मोदी के पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह ने इसके ठीक विपरीत अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान हुई एनजीआरबीए की सभी तीन बैठकों की अध्यक्षता की थी। ये बैठकें पांच अक्टूबर, 2009, पहली नवंबर, 2010, और 17 अप्रैल, 2012 को हुई थीं।

ऐश्वर्य ने एक कुटिल मुस्कान के साथ कहा, “मैं सिर्फ आशा कर सकती हूं कि मोदी अंकल इस मोर्चे पर अपने वादे पूरे करेंगे, क्योंकि हम सभी को उनसे बहुत उम्मीदें हैं।”

लेकिन यह तो समय ही बताएगा कि जिस मोदी सरकार ने अगले पांच वर्षो में गंगा पुनरुद्धार और सफाई पर 20,000 करोड़ रुपये खर्चने का वादा किया है, वह अपने वादे पूरे कर पाएगी या नहीं। फिलहाल तो ‘गंगा मैया ने बुलाया है’ का जुमला ‘गंगा मैया को भुलाया है’ बन चुका है।

गंगा सफाई पर 2958 करोड़ रुपये साफ, परिणाम सिफर Reviewed by on . लखनऊ, 2 अगस्त (आईएएनएस)। गंगा के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भावनात्मक जुड़ाव पर विपक्ष पहले से ही हमला कर रहा है। लेकिन अब आंकड़े भी बता रहे हैं कि भाजप लखनऊ, 2 अगस्त (आईएएनएस)। गंगा के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भावनात्मक जुड़ाव पर विपक्ष पहले से ही हमला कर रहा है। लेकिन अब आंकड़े भी बता रहे हैं कि भाजप Rating:
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