पटना, 2 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार के सीमांचल और उत्तरी हिस्सों में पिछले 12 दिनों से तबाही मचाने के बाद मंगलवार को कुछ नदियों के जलस्तर में भले कमी आई है, लेकिन अब भी कई प्रमुख नदियां उफान पर हैं। बाढ़ से बिहार में 12 जिलों के 28 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं और अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, पूर्णिया, सुपौल और कटिहार जिले के हालात बदतर हैं। इन जिलों में बड़े पैमाने पर जान और माल की क्षति हुई है। सुपौल में कोसी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है, जबकि सहरसा में कोसी का जलस्तर घटा है, लेकिन कटाव जारी हैं।
राज्य के पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, दरभंगा, मधेपुरा, भागलपुर, कटिहार, सुपौल, सहरसा, गोपालगंज सहित पूर्वी चंपारण और मुजफ्फरपुर जिले के करीब 68 प्रखंड बाढ़ की चपेट में हैं।
पटना स्थित बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक, बिहार की प्रमुख नदियों के जलस्तर में कुछ कमी दर्ज की गई है, जबकि मंगलवार को कोसी के जलस्तर में वृद्धि देखी गई।
नियंत्रण कक्ष में प्रतिनियुक्त सहायक अभियंता विवेक मंडल ने मंगलवार को आईएएनएस को बताया कि 10 बजे वीरपुर बैराज में कोसी नदी का जलस्तर 1.43 लाख क्यूसेक दर्ज किया गया, जबकि वाल्मीकिनगर बैराज में गंडक का जलस्तर करीब 1़.39 लाख क्यूसेक था। गंडक नदी का जलस्तर स्थिर बना हुआ है।
उन्होंने बताया कि बागमती नदी बेनीबाद में तथा कमला बलान नदी झंझारपुर में खतरे के निशान को उपर बह रही है।
आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 3़39 लाख हेक्टेयर में लगी फसलें बर्बाद हुई हैं तथा सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। बाढ़ से छह लाख लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें करीब 3.66 लाख लोग सरकार द्वारा स्थापित 616 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।
किशनगंज में बाढ़ का पानी घटने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है। लेकिन लोग अब भी सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। कटिहार जिले में गंगा, महानंदा एवं कोसी नदी के जलस्तर में कमी दर्ज की गई है। लेकिन कई बाढ़ग्रस्त इलाकों में जल जमाव के कारण लोग परेशान हैं। सड़कें क्षतिग्रसत होने से कई गांव जिला और प्रखंड मुख्यालयों से कट गए हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य निरंतर जारी हैं।