आयोग को भेजी गई शिकायत में कहा गया था कि पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों-कर्मचारियों की उपस्थिति में लगाए गए अपमानजनक नारे उप्र में कानून व्यवस्था की पूर्ण अनुपस्थिति के साथ-साथ दयाशंकर और उनकी बहन, पत्नी और बेटी के मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन व गैरकानूनी कृत्य है। इस मामले की जांच कर दोषियों को दंडित कर दयाशंकर के परिवार को मुआवजा दिया जाना चाहिए।
समाजसेविका उर्वशी शर्मा द्वारा दी गई अर्जी पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रकरण दर्ज कर जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है और यह जानकारी एक ई-मेल के माध्यम से अर्जीकर्ता को दी है।
उर्वशी ने बताया कि उन्होंने बसपा के धरने प्रदर्शन में लखनऊ पुलिस और प्रशासन के जिम्मेदार कर्मिकों की उपस्थिति में पूर्व भजपा नेता दयाशंकर सिंह के परिवार की महिलाओं के लिए अपशब्द कहे जाने और दयाशंकर सिंह के मानवाधिकारों का हनन करने वाले बैनर-पोस्टर और शब्दों के सार्वजनिक प्रयोग करने के मामले की जांच आयोग के स्तर से कराने का अनुरोध किया था।
उन्होंने पत्र के साथ धरने के कार्यक्रम की वीडियो क्लिप्स भी आयोग को भेजी थीं।