मथुरा, 25 मई (आईएएनएस)। 71 वर्षीय बहोरन सिंह पिछले पांच साल से पेट के भारीपन से परेशान थे। इसे वह पेट में गैस आदि की सामान्य समस्या समझ कर अपना इलाज करा रहे थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से तो उन्हें खाने पीने में भी दिक्कत होने लगी, यहां तक कि कुछ भी खाते ही वह उल्टी द्वारा निकल जाता था।
मथुरा, 25 मई (आईएएनएस)। 71 वर्षीय बहोरन सिंह पिछले पांच साल से पेट के भारीपन से परेशान थे। इसे वह पेट में गैस आदि की सामान्य समस्या समझ कर अपना इलाज करा रहे थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से तो उन्हें खाने पीने में भी दिक्कत होने लगी, यहां तक कि कुछ भी खाते ही वह उल्टी द्वारा निकल जाता था।
अपनी इसी परेशानी के साथ वह नयति अस्पताल पहुंचे और डॉक्टरों ने जांच करने पर पाया कि उनके पेट में काफी बड़ी गांठ है, जिसे निकालने की जरूरत है। परिवार की सहमति के बाद उनके पेट से सफलतापूर्वक सिस्ट निकाल दी गई।
नयति मेडिसिटी के जीआई सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ अजय अग्रवाल और डॉ सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि बहोरन की जांच में जो सिस्ट पता चली उसे मेडिकल साइंस में लाइपोसकोर्मा नाम की बीमारी कहते हैं, जिसमें पेट की चर्बी में अंदर की ओर गांठ पड़ जाती है जो लगातार बढ़ती रहती है। यह बीमारी बहुत ही कम लोगों में पायी जाती है।
उन्होंने कहा क िबहोरन के पेट में काफी बड़ी सिस्ट थी, जो पेशाब की नली, छोटी – बड़ी आंत, खून की नालियों तथा पेट के अंदर कई और अंगों से चिपकी हुई थी, जिसे सफलतापूर्वक निकाल दिया गया। ऑपरेशन के बाद निकाली गयी सिस्ट का वजन 7 किलो था।
अपना ऑपरेशन कराने वाले बहोरन सिंह ने कहा कि नयति आने से पहले मेरा पेट काफी फूला हुआ रहता था, लगता था कि पेट पर कोई वजन रखा हुआ है। तीन चार दिन में एक बार शौच जा पाता था। ऑपरेशन के बाद मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं और ठीक से खा-पी भी रहा हूं।
सर्जरी करने वाली टीम में डॉ शिव कुमार यादव और डॉ परमेश्वर वीजी का विशेष योगदान रहा।