स्वामी विवेकानंद के विचारों को करेंगे पाठ्यक्रम में शामिल
संस्कृति मंत्री ‘स्वामी विवेकानंद और भारतीय नवोत्थान’ संगोष्ठी में
मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्वामी विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय सम्मान स्थापित किया जायेगा। सम्मान-राशि 50 लाख रुपये होगी। विवेकानंद ज्योति यात्रा गाँव-गाँव जायेगी। स्वामी विवेकानंद के जीवन-दर्शन एवं विचारों पर केन्द्रित पाठ कक्षा 3 से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में शामिल किये जायेंगे। संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने यह जानकारी शनिवार को समन्वय भवन में ‘स्वामी विवेकानंद और भारतीय नवोत्थान’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में कही।
संस्कृति मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई समारोह समिति की बैठक में निर्णय लिया गया कि स्वामीजी का 150वाँ जन्म-वर्ष समारोह 12 जनवरी, 2014 तक सतत रूप से मनाया जायेगा। इस दौरान विवेकानंद क्विज करवायी जायेगी, जिसमें युवा और बच्चों को शामिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि पूरे कार्यक्रम से युवाओं को जोड़ा जायेगा। श्री शर्मा ने कहा कि जिला, संभाग और राज्य-स्तरीय पुरस्कार विजेताओं को कन्याकुमारी और वेल्लूर मठ की यात्रा करवाई जायेगी। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी में होने वाले व्याख्यान एवं विमर्श की एक पुस्तक प्रकाशित करवाकर वितरित करवायी जायेगी।
संस्कृति मंत्री ने कहा कि इन कार्यक्रमों से युवा स्वामी जी के जीवन और चरित्र को जानेंगे। जनसंपर्क मंत्री ने ‘नवनीत’ पत्रिका के नवीन अंक का विमोचन किया। उन्होंने अतिथियों को शाल-श्रीफल एवं स्मृति-चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
मेन इज नाट पॉलिटिकल एनीमल
संगोष्ठी में स्वामी जितात्मानंद ने कहा कि स्वामी विवेकानंद द्वारा कही गयी सभी बातें अक्षरशः सच हुई हैं। उन्होंने वैदिक ज्ञान की महत्ता बतायी और कहा कि ‘मेन इज नाट पॉलिटिकल एनीमल’। विवेकानंद ने आध्यात्म के बल पर विश्व विजय की कल्पना भी की। जितात्मानंद ने कहा कि विवेकानंद जी के भाषण और विचारों का ही परिणाम है कि हावर्ड विश्वविद्यालय में 3 ध्यान-केन्द्र सहित अमेरिका के प्रमुख 20 विश्वविद्यालय में ध्यान-केन्द्र स्थापित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि स्वामीजी औजारों की नहीं आत्मा की खोज करते थे। जितात्मानंद ने कहा कि विवेकानंद जी वास्तव में भविष्यदर्शी थे, जिनकी दूरदर्शी सोच भारत को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करना था।
वैदिक ज्ञान और आध्यात्म ही होगा विश्व-शांति का माध्यम
न्यायमूर्ति श्री देवदत्त माधव धर्माधिकारी ने संगोष्ठी में कहा कि स्वामी विवेकानंद द्वारा बताये गये विचारों पर चलकर ही समाज में शांति लायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि वैदिक ज्ञान और आध्यात्म के माध्यम से ही विश्व में शांति लायी जा सकती है। श्री धर्माधिकारी ने कहा कि सामाजिक संगठन लोगों के बीच आध्यात्मिक-केन्द्र संचालित करें। उन्होंने कहा कि आज भी देश संस्कारों से चल रहा है। देश की आत्मा में आध्यात्म और विज्ञान है। श्री धर्माधिकारी ने कहा कि स्वस्थ, समर्थ और सशक्त तंत्र देने के लिये प्रजा को जागरूक होना जरूरी है।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने संगोष्ठी के उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। इसी विश्वविद्यालय द्वारा संगोष्ठी आयोजित की गयी है। संगोष्ठी के दूसरे दिन 24 मार्च को शाम 4.30 बजे जगद-गुरु शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती जी का आशीर्वचन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहनराव भागवत का वक्तव्य होगा।