उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारी खपत छह करोड़ डॉलर है। इसकी हम खरीद करते हैं, जबकि करीब दो करोड़ का सामान हम खुद ही बनाते हैं। इसमें हम सिर्फ 10 फीसदी का वैल्यू एडिशन करते हैं। बाकी हिस्सा बाहर से मंगाया जाता है।
उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में इलेक्ट्रॉनिक्स का मार्केट करीब 400 करोड़ रुपये का होगा। आरएस शर्मा ने कहा कि भारत में बनने वाला उत्पाद कई टैक्सों की वजह से महंगा हो जाता है। यदि मैन्युफैक्च रिंग कल्सटर लगाया जाए, तो उस पर केंद्र सरकार 50 फीसदी सब्सिडी देती है। वहीं, यूनिट लगाने पर 20 फीसदी तक की सब्सिडी मिलती है।
उन्होंने बताया कि रिसर्च के लिए भी केंद्र सरकार ने फंड बनाया है। सही से काम किया जाए, तो साल 2020 तक हम नेट जीरो इम्पोर्ट तक पहुंच जाएंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले वक्त में 2.8 मिलियन लोगों के लिए नौकरी की संभावनाए हैं। इसके लिए लोगों को ट्रेंड किया जाएगा। केंद्र सरकार इसके लिए फंड देगी।
इन्वेस्टर्स मीट में इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ इंडिया के जनरल सेक्रेटरी राजू गोयल, इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमी कंडक्टर के चेयरमैन अशोक चंडक, इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन के नेशनल प्रेसिडेंट पंकज मोहिंदू, स्पाइस ग्रुप के दिलीप मोदी, एम्बेसी ऑफ रिपब्लिक कोरिया के एम्बेसेडर जून जीयू ली सहित अन्य बिजनेस टाइकून हिस्सा ले रहे हैं।
कार्यक्रम में सैमसंग प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद हम चे लांग ने कहा कि सैमसंग के करीब सात हजार कर्मचारी उप्र में काम करते हैं। उप्र में कई संभावनाए हैं। इसलिए हम नोएडा में एक रिसर्च सेंटर बनाने पर विचार कर रहे हैं। इसपर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा।