अनिल सिंह — गुरुपूर्णिमा पर्व 22 जुलाई को है ,यह पर्व आदिकाल से मनाया जाता है ,सनातन व्यवस्था में इसका विशेष महत्व है,गुरु-शिष्य परंपरा के साधक पूरे वर्ष इन्तजार में रहते हैं एवं शिष्य ही नहीं गुरु भी उतने ही व्यग्र रहते हैं पर्व के इन्तजार में।
शिष्य गुरु जी से अनुरोध करता है कि वे उसे अपनी शरण में लें और अपनी कृपा की छाया उस पर करें,गुरु भी उस शिष्य पर अपनी छाया कर उसे अपनी शरण में लेते हैं एवं शिष्य को अपने तय किये हुए पथ पर चलने की प्रेरणा देते हैं ,शिष्य पर यह निर्भर करता है कि कितने मनोयोग से वह गुरु के वचनों को आत्मसात करता है और गुरु-कृपा प्राप्त करता है।
भारत वर्ष के गुरु-पीठों में और मठों में अभी से पर्व की तैयारियां शुरू हो गयी हैं,शिष्य भी अपने-अपने स्तर पर तैयारियों में जुटे हुए हैं।
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