नई दिल्ली -शहीद मेजर केतन शर्मा के अंतिम संस्कार में देश प्रेम और सेना के प्रति भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा था। गम और गुस्से के बीच जनसैलाब ने विदाई के अंदाज से केतन को अमर कर दिया। मेजरकेतन शर्मा अमर रहें.. जैसे नारों के बीच जब चिता पर शव रखा जाने लगा तो पूरे सै’लाब ने सैल्यूट किया। बाबा को देख चार साल की मासूम बेटी ने भी सैल्यूट किया। गम से अनजान मासूम बेटी की मुस्कराहट के बीच सैल्यूट पाकर जांबाज केतन भी मुस्करा उठे होंगे।
देश की सेवा करते हुए इकलौते बेटे की शहादत ने पिता रविंद्र शर्मा को अंदर तक तोड़ दिया। उम्र के इस पड़ाव में जब माता-पिता को सहारे की जरूरत होती है, बेटे की पार्थिव देह उनके सामने थी। वह सैन्य अफसरों और रिश्तेदारों से लिपट कर रोते हुए बार-बार यही पूछते कि हमारा शेर बेटा चला गया, अब जिंदगी भर यह गम कैसे ङोलेंगे।
बेटे के जाने के गम में पिता को बिलखते देख,मौजूद लोगों की आंखें भी छलक उठीं। सैन्य अफसरों और रिश्तेदारों ने उन्हें किसी तरह ढांढस बंधाया। उन्होंने सेना के अधिकारियों से कहा हमें अपने बेटे पर गर्व है। वह देश के लिए शेर की तरह शहीद हुआ। अब सरकार को इस शहादत का बदला लेना चाहिए।