नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। देश के औषधि महानियंत्रक डॉ. जी. एन. सिंह ने रविवार को कहा कि भारत आज 200 देशों को दवाइयां निर्यात कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश में निर्मित दवाइयों का 40 प्रतिशत देश में ही उपयोग हो रहा है, बाकी का 60 फीसदी निर्यात कर दिया जाता है।
सिंह ने रविवार को यहां आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय द्वारा दवा उद्योग और फार्मा में विकास की संभावनाओं पर ‘इंडस्ट्री एकेडेमिया इंटरेक्शन’ संगोष्ठी में कहा, “देश में हमें लगातार बहुत-सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो केवल टेक्नोलाजी द्वारा दूर की जा सकती हैं। सबसे पहले हमें सुविधाओं की गुणवत्ता और सुविधा प्रदाता की गुणवत्ता में सुधार लाना होगा। दूसरा हमें विद्यार्थियों को भी वैश्विक स्वास्थ्य में परिवर्तन लाने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रशिक्षण और शिक्षा प्रदान करनी होगी।”
उन्होंने कहा, “दवा उद्योग में विकास के और भी कई कारक नजर आते हैं। जनसंख्या वृद्धि की दर एक प्रतिशत पर स्थिर है। लोगों की दवा खरीदने की सामथ्र्य बढ़ती जा रही है, बीमा कवरेज में भी वृद्धि हुई है और इलाज की सुविधाओं में वृद्धि होने से स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाएं अब लोगों की पहुंच में हो गई हैं।”
आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. एस. डी. गुप्ता ने कहा, “भारत कौशल रिपोर्ट, 2016 के अनुसार 1.3 अरब की कुल भारतीय आबादी में से 0.8 अरब लोग कामकाजी उम्र में हैं और वर्ष 2022 तक भारत दुनिया में सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश होगा। अगर फार्मा उद्योग की बात करें तो भारतीय फार्मा उद्योग मात्रा के लिहाज से दुनिया भर में तीसरे और मूल्य के लिहाज से 13वें स्थान पर है और वर्ष 2016 में फार्मा उद्योग में 1.30 लाख रोजगार के अवसर उपलब्ध होने की संभावना है।”
उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा आसान जीवन शैली अपनाने के कारण अगले 5-10 साल में पुरानी बीमारियां हावी होने की आशंका बढ़ने लगी हैं और ऐसी स्थितियों में टीकों की जरूरत भी बढ़ती जा रही है।