नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम (एनीएससीएन) का मानना है कि अगर भारत सरकार इच्छा शक्ति दिखाए तो नगा समस्या दो साल के अंदर निपट सकती है। इस संगठन ने नगा समस्या को निपटाने के लिए केंद्र सरकार और नगा सोशलिस्ट काउंसिल (इसाक-मुइवा) के बीच हुए समझौते का समर्थन किया है।
नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम (एनीएससीएन) का मानना है कि अगर भारत सरकार इच्छा शक्ति दिखाए तो नगा समस्या दो साल के अंदर निपट सकती है। इस संगठन ने नगा समस्या को निपटाने के लिए केंद्र सरकार और नगा सोशलिस्ट काउंसिल (इसाक-मुइवा) के बीच हुए समझौते का समर्थन किया है।
एनएससीएन (रिफार्मेशन) के अध्यक्ष वाई. वांगतिन नगा ने आईएएनएस से मुलाकात में कहा, “हम दशकों से नगा संप्रभुता के लिए लड़ रहे हैं। हम भारत और म्यांमार के नगा बहुल इलाकों को मिलाकर नगा देश की मांग करते रहे हैं। लेकिन, हमने पाया कि यह असंभव है। इसलिए भारत की तरफ रहने वाले नगाओं को भारत से और म्यांमार की तरफ रहने वाले नगाओं को म्यांमार से मसले के हल के लिए बात करनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि अगर वार्ता असफल हो जाती है तो फिर वे अगले दो दशकों तक और लड़ने के लिए तैयार हैं।
वांगतिन एनएससीएन (रिफार्मेशन) के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ नगा शांति समझौते के वार्ताकार आर.एन.रवि से मुलाकात करने यहां आए हुए हैं।
इस मुलाकात का खास मुद्दा यह है कि एनएससीएन (एम-आई) और केंद्र के बीच हुए नगा समझौते और इससे संबद्ध शांति वार्ता में एनएससीएन (रिफार्मेशन) की क्या भूमिका होगी।
एनएससीएन (रिफार्मेशन) के महासचिव पी. तिखक ने आईएएनएस से कहा, “हम नगा लोगों के लिए काम करते हैं। इन लोगों ने काफी कुछ सहा है। हम इस बात की सराहना करते हैं कि भारत सरकार यह समझ गई है कि वे भारतीय हैं और हम नगा हैं और यह कि नगा भारतीय नहीं हैं (उनकी अपनी खास पहचान है)। इन दो बातों की अहमियत को कम नहीं करना चाहिए। “
तिखक ने कहा, “इस बात की जरूरत है कि नगा लोगों को अपनी तरह से जीने दिया जाए, अपनी तरह से विकास करने दिया जाए। जहां तक भारतीयों और नगाओं का संबंध है, ये दोनों हमेशा साथ रह सकते हैं और अपनी अपनी संप्रभुता के साथ एक दूसरे की मदद कर सकते हैं।”
तिखक ने कहा, “जब तक नगा शांति समझौता नगा लोगों के हित में है, हमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन समझौते का नतीजा पूरी तरह से नागा लोगों के पक्ष में होना चाहिए।”
वांगतिन पहले एनएससीएन (खापलांग) के साथ रह चुके हैं। वह कहते हैं कि दो नेताओं निकी सुमी और स्तारसन लामकांग ने एस.एस. खापलांग को इतना भ्रमित किया कि उन्होंने भारत के साथ संघर्षविराम को तोड़ दिया। यह खापलांग की सबसे बड़ी गलती थी।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में सक्रिय उल्फा जैसे अन्य संगठन भी खापलांग को बरगलाते रहते हैं। उन्हें लगता था कि संघर्षविराम तोड़ने से भारत सरकार डर जाएगी। उन्होंने और तिखक ने खापलांग को समझाना चाहा, लेकिन समझने के बजाय उन्होंने दोनों को संगठन से निकाल दिया।