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नर्मदा जल कर निरस्त- हाईकोर्ट का निर्णय

January 14, 2015 10:10 am by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on नर्मदा जल कर निरस्त- हाईकोर्ट का निर्णय A+ / A-
imagesभोपाल. हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसला देते हुए राजधानी में नर्मदा के पानी की सप्लाई के एवज में बिल्डिंग परमिशन पर लगाए गए नर्मदा टैक्स को  निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने इसे अवैध करार देते हुए नगर निगम को नर्मदा टैक्स के रूप में वसूले गए 34 करोड़ रुपए और इस पर 9 फीसदी की दर से पेनाल्टी की 6 करोड़ रुपए की रकम भी लोगों को वापस करने का आदेश दिया है। 24 सितंबर 2012 को नगर निगम ने यह टैक्स लागू किया था।
बिल्डरों के एसोसिएशन क्रेडाई की याचिका की पैरवी करते हुए अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने चीफ जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस एसएस केमकर की युगलपीठ के सामने नर्मदा टैक्स के असंवैधानिक होने का तर्क दिया था। युगलपीठ ने इससे सहमत होते हुए इस टैक्स को संविधान के अनुच्छेद 14 समानता के अधिकार के विपरीत माना।
दो साल तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने अंतिम आदेश में यह कहा कि निगम ने आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक सभी पर टैक्स की दर एक समान लगा दी। यह गलत है। यही नहीं कोर्ट ने निगम द्वारा बिना पानी सप्लाई के ही बिल्डिंग परमिशन पर नर्मदा टैक्स लेने को भी सही नहीं माना। नगर निगम के अफसरों का कहना है कि वे निर्णय की कॉपी मिलने के बाद ही इस बारे में कुछ कह सकेंगे।
अभी 500 वर्गफीट से कम निर्माण पर नर्मदा टैक्स नहीं लगता है। इससे ऊपर एक रुपए प्रति वर्गफीट से लेकर 15 रुपए प्रति वर्गफीट तक दरें हैं। यदि आप 1000 वर्गफीट के प्लॉट  पर 1200 वर्गफीट (बिल्डअप एरिया) में दो मंजिला मकान बनाते हैं तो दो रुपए प्रति वर्गफीट के हिसाब से 2400 रुपए कर चुकाना पड़ता है। अब यह राशि नहीं चुकानी होगी। यदि बिल्डर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाता है तो उसे 15 रुपए प्रति वर्गफीट की दर से नर्मदा कर लगता है। यानी वह हमें जो 1200 वर्गफीट का फ्लैट बेचता है, उसमें 18000 रुपए सिर्फ नर्मदा कर के होते हैं। अब इससे राहत मिल जाएगी।
हाईकोर्ट ने वर्ष 2010 में पहली बार जब नर्मदा उपकर निरस्त किया था तो लोगों से वसूले गए 6 करोड़ रुपए लौटाए नहीं थे। इसलिए इस बार कोर्ट ने अपनी कस्टडी में आधी रकम बैंक गारंटी और आधी रकम को चेक के जरिए निगम के पास जमा करवाया था।
हाईकोर्ट में क्रेडाई की तरफ से 35 बिल्डरों ने याचिका लगाई थी। यह फैसला भी उन्हीं के लिए है। जबकि निगम ने बीते ढाई साल में 6,350 बिल्डिंग परमिशन जारी की हैं। यानी 6,315 लोगों को यदि नर्मदा टैक्स वापस चाहिए तो उन्हें कोर्ट जाना होगा। हालांकि अधिवक्ता गुप्ता के मुताबिक लोगों को पहले नगर निगम से यह राशि वापस मांगना चाहिए। यदि निगम इनकार करे तो फिर कोर्ट में केस दायर कर सकते हैं।
नगर निगम ने 31 मई 2008 को बिना राज्य सरकार की मंजूरी के नर्मदा उपकर लगाने का आदेश पारित कर दिया था। इस पर भोपाल बिल्डर्स एंड डेवलपर्स एसोसिएशन के सचिव व अन्य की ओर से 4 मई 2009 को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस पर कोर्ट ने 31 अक्टूबर 2010 को नगर निगम को कहा था कि जब तक प्रस्ताव को राज्य सरकार की मंजूरी नहीं मिलती, तब तक यह राशि न वसूली जाए।
राज्य शासन से अनुमति लेकर उपकर को कर में बदल दिया : निगम ने कोर्ट का फैसला आने के बाद नर्मदा उपकर को नर्मदा टैक्स के नाम से बदल दिया और इस पर राज्य शासन की अनुमति लेकर जारी कर दिया।
भास्कर से

 

नर्मदा जल कर निरस्त- हाईकोर्ट का निर्णय Reviewed by on . भोपाल. हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसला देते हुए राजधानी में नर्मदा के पानी की सप्लाई के एवज में बिल्डिंग परमिशन पर लगाए गए नर्मदा टैक्स को  निरस्त कर दिया ह भोपाल. हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसला देते हुए राजधानी में नर्मदा के पानी की सप्लाई के एवज में बिल्डिंग परमिशन पर लगाए गए नर्मदा टैक्स को  निरस्त कर दिया ह Rating: 0
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