नई दिल्ली, 4 दिसम्बर (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को 1984 के सिख विरोधी दंगे में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की समापन रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार करते हुए जांच एजेंसी को दंगे में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर की भूमिका की जांच जारी रखने का निर्देश दिया।
अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी सौरभ प्रताप सिंह लालेर ने सीबीआई की उस समापन रिपोर्ट को मानने से इनकार कर दिया, जिसमें टाइटलर को क्लीन चिट दी गई है। अदालत ने सीबीआई से मामले की जांच जारी रखने को कहा है।
अदालत ने सीबीआई से हथियारों के व्यापारी अभिषेक वर्मा द्वारा दिए गए तथ्यों की जांच करने के लिए भी कहा। वर्मा का उल्लेख समापन रिपोर्ट में गवाह के रूप में किया गया है।
वर्मा ने अपने बयान में सीबीआई से कहा था कि टाइटलर ने 2008 में उनसे कहा था कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी जिसके बाद उन्हें 1984 के सिख विरोधी दंगों में क्लीन चिट मिल गई थी।
वर्मा ने यह भी कहा था कि टाइटलर ने मामले के एक गवाह को बहुत अधिक धन देने और उसके पुत्र को विदेश में स्थापित करने का प्रलोभन देकर उसे प्रभावित करने की कोशिश की थी।
अदालत ने सीबीआई को मामले के अन्य गवाहों के बयान दर्ज करने का भी निर्देश दिया।
इससे पहले की सुनवाई में सीबीआई ने कहा था कि अगर अदालत कहेगी तो वह मामले की आगे की जांच के लिए तैयार है।
सीबीआई ने यह बयान शिरोमणि अकाली दल की उस अर्जी के जवाब में दिया था जिसमें अकाली दल ने तीन गवाहों का पता देने की बात कही थी।
सीबीआई ने पहले अदालत को बताया था कि इन तीनों से मिल पाना संभव नहीं हो पा रहा है।
दंगा पीड़ित और शिकायतकर्ता लखविंदर कौर के वकील एच.एस.फुल्का ने कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए अदालत को समापन रिपोर्ट को मंजूर नहीं करना चाहिए। कौर के पति बादल सिंह की दंगों में हत्या कर दी गई थी।
कौर ने टाइटलर को क्लीन चिट देने वाली समापन रिपोर्ट को अदालत में चुनौती दी हुई है। यह सीबीआई की तीसरी ऐसी समापन रिपोर्ट है जिसमें टाइटलर को क्लीन चिट दी गई है। सीबीआई पहले भी दो बार टाइटलर को क्लीन चिट दे चुकी है।
फुल्का ने सीबीआई की जांच को ‘दोषपूर्ण, भ्रष्ट, बेईमान और लापरवाही से की गई’ बताया था।
अप्रैल 2013 में सत्र न्यायालय ने एक समापन रिपोर्ट को खारिज करते हुए सीबीआई को हत्याओं की जांच जारी रखने को कहा था।
सीबीआई ने ऐसा किया लेकिन 24 दिसंबर 2014 को एक अन्य समापन रिपोर्ट दाखिल कर दी जिसमें कहा गया कि टाइटलर के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं।