पेरिस में व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दॉ के संपादकीय कार्यालय पर हमले के बाद इंटरनेट पर एकजुटता जताने वाले संदेशों की बाढ़ आ गई. यह पत्रिका सालों से कड़े विरोध के बीच भी धर्म की आलोचना करने वाले प्रकाशन से पीछे नहीं हटी. फ्रांस की व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दॉ को हमेशा से अपने भड़काऊ कार्टूनों और तस्वीरों के प्रकाशन के लिए जाना गया है. पत्रिका की 75,000 कॉपियों से ज्यादा की बिक्री होती है. यहां करीब 20 लोग काम करते हैं. साल 2006 में इसी पत्रिका ने फ्रांस में पैगंबर मुहम्मद का विवादास्पद कार्टून छापा था.फ्रांस में धार्मिक व्यंग्य पर हिंसा की यह एकलौती घटना नहीं है. हाल में कॉमिक बुक ‘द लाइफ ऑफ मुहम्मद’ के प्रकाशन पर भी पत्रिका का भारी विरोध हुआ. प्रधान संपादक को मुस्लिम समुदाय से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा. उन्हें पुलिस सुरक्षा तक देनी पड़ी. कई दिनों पर पत्रिका की वेबसाइट पर हैकरों का हमला होता रहा और संपादकीय स्टाफ को धमकियां मिलती रहीं.शार्ली एब्दॉ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेझिझक प्रकाशन के लिए जाना जाता है. कई आलोचक इसे पाठकों की संख्या बढ़ाने का पैंतरा भी मानते हैं. साल 1981 से 1992 के बीच पाठकों की कमी के कारण पत्रिका को बंद करना पड़ा था. इस पत्रिका की शुरुआत 1970 में पहले से चली आ रही व्यंग्य पत्रिका ‘हाराकिरी’ की विरासत को आगे बढ़ाने के मकसद से हुई. हाराकिरी को कई बार आपत्तिजनक सामग्री छापने के आरोप में प्रतिबंधित किया गया था.
फ्रांस की व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दॉ को हमेशा से अपने भड़काऊ कार्टूनों और तस्वीरों के प्रकाशन के लिए जाना गया है. पत्रिका की 75,000 कॉपियों से ज्यादा की बिक्री होती है. यहां करीब 20 लोग काम करते हैं. साल 2006 में इसी पत्रिका ने फ्रांस में पैगंबर मुहम्मद का विवादास्पद कार्टून छापा था.
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