अनिल सिंह(धर्मपथ)- राजनीति में दो तरह के लोग हैं एक वे जो अपना काम करते हैं और समय पर सामने आते हैं ,दूसरे वे जो शॉर्ट-कट से परजीवी हो कर आगे तेजी से बढ़ना चाहते हैं और काफी हद तक सफल भी होते हैं,कल भोपाल स्थित प्रदेश भाजपा मुख्यालय में मुख्तार अब्बास नक़वी की पत्रकारवार्ता में ऐसा ही देखने को मिला.
जब नक़वी मंच पर आये तो कुर्सी पर बैठने वालों ने अपनी पोज़िशन ठीक उस तरह तैयार की थी जिस तरह कोई सैनिक करता है जिससे नक़वी के बैठते ही वे इस तरह से अपनी तशरीफ रख दें की दूसरे को हस्तक्षेप करने का मौका ही ना मिले,खैर इन सब में अधिक जुगाडबाज दिखे भाजपा के मीडिया प्रभारी जो कई जगह प्रवक्ता भी अपने आप को कहलाते हैं और गर्व महसूस करते हैं,जब उन्हे कुर्सी पर नक़वी के बगल मे जगह नहीं मिली तो केमरों की जड़ में रहने के लिये भाई साहब माइक थाम खड़े हो गये और गणेश उत्सव समिति के उस सयाने लड़के की तरह माइक पर बोलने लगे जो अपने को सबसे अधिक योग्य समझता है,मजा तो तब रहा जब वह माइक भी उनसे ले लिया,लेकिन राजनीतिक चमक कम ना पड़े इसलिये भाईसाब वहां से नहीं हटे और अलग से दिखने के चक्कर में बिना माइक ही खड़े रहे तथा जिस तरह बन्दरों को नचाने वाला मदारी निर्देश देता है ,पत्रकारों को निर्देशित करते रहे क्योंकि इनका मानना है की सबसे समझदार ये ही हैं.
यदि राजनीति जो राष्ट्र के समाज के भले के लिये होती है इसी तरह की चाटुकारिता और स्वमेव जयते की तर्ज पर चली तब कहा जायेगा यह रास्ता सोच कर भी भय होता है.संगठन में बैठे अगुआ लोगों को सोचना होगा और क्रियान्वित करना होगा की किस तरह् के व्यक्तित्व को कहाँ बैठाएं ताकि चाल ,चरित्र और चेहरा ना बिगड़े.
बात रही नक़वी की पत्रकार वार्ता की तो समय खराब करने के अलावा कुछ नहीं था,सिर्फ मीडिया को अपना इस्तेमाल करने के लिये बुलाया जाता है,सभी प्रश्नों का उत्तर गोल -मोल रहा,सच्चाई से कोसो दूर