आने वाले सालों में डायबिटीज की बीमारी दुनिया के सामने एक बड़ी समस्या बन सकती है. एक अध्ययन के अनुसार से यह बीमारी 2050 तक दुनिया के 1.3 अरब लोगों को अपनी चपेट में ले सकती है. भारत के सामने भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं. भारत में टाइप 2 डायबिटीज को अब तक बढ़ती उम्र के साथ जुड़ी हुई बीमारी माना जाता है.
‘दी लैंसेट’ में प्रकाशित एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि साल 2021 में दुनिया भर में 52.9 करोड़ लोग डायबिटीज के साथ जी रहे थे. अगले 30 सालों में यह बीमारी बढ़कर दुनिया के हर देश और क्षेत्र में फैल जाएगी. डायबिटीज के कुल मामलों पर अगर नजर डालें तो इसके पीड़ितों में से 96 प्रतिशत लोगों को टाइप 2 डायबिटीज है.
दी लैंसेट के ही एक अन्य अध्ययन, जिसमें खासतौर पर भारत में इस बीमारी पर प्रकाश डाला गया है, यह सामने आया है कि भारत में 10.1 करोड़ लोग मधुमेह के साथ जी रहे हैं, जो कि देश की 11.4 प्रतिशत आबादी है.
भुवनेश्वर में प्रैक्टिस करने वाली डॉक्टर आकांक्षा गुप्ता, एमबीबीएस, डीएनबी फैमिली मेडिसिन, फेलोशिप इन डायबिटीज (यूके) में प्रशिक्षित हैं. उनके हिसाब से भारत में भी टाइप वन के मुकाबले टाइप 2 डायबिटीज ज्यादा आम है. वह कहती हैं कि प्री डायबिटिक लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक सर्वे में भी यह सामने आया है कि देश में 13.6 करोड़ लोग, यानि 15.3 प्रतिशत आबादी प्री डायबिटिक हो सकती है.
डायबिटीज के बढ़ते मामलों के बारे में डॉ. गुप्ता का कहना है, “भारत में वयस्कों में डायबिटीज के मामलों में तीन गुणा बढ़ोत्तरी हुई है. इसकी कई वजहें हैं, जैसे जीवनशैली और पर्यावरण में आए बदलाव, भारी मात्रा में हाई शुगर वाली चीजों का सेवन, ज्यादा बाहर का खाना, कम व्यायाम करना और बढ़ता मोटापा.”
अधिकतम मामलों में डायबिटीज का प्रारंभिक उपचार हमेशा जीवनशैली में हेल्थी बदलाव और वजन कम करना होता है.