नई दिल्ली, 2 मार्च (आईएएनएस)। होटल उद्योग में पुरुषों के वर्चस्व को महिलाएं चुनौती देने लगी हैं। देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विश्व के शीर्ष पांच होटल स्कूलों में से एक नीदरलैंड्स के ‘होटलस्कूल द हेग’ में 85 साल पहले की तुलना में अब छात्राओं की संख्या में जबरदस्त उछाल आया है। दुनियाभर के छात्र हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में करियर बनाने के लिए नीदरलैंड्स का रुख कर रहे हैं, जिसमें कई भारतीय भी शामिल हैं।
नई दिल्ली, 2 मार्च (आईएएनएस)। होटल उद्योग में पुरुषों के वर्चस्व को महिलाएं चुनौती देने लगी हैं। देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विश्व के शीर्ष पांच होटल स्कूलों में से एक नीदरलैंड्स के ‘होटलस्कूल द हेग’ में 85 साल पहले की तुलना में अब छात्राओं की संख्या में जबरदस्त उछाल आया है। दुनियाभर के छात्र हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में करियर बनाने के लिए नीदरलैंड्स का रुख कर रहे हैं, जिसमें कई भारतीय भी शामिल हैं।
होटलस्कूल द हेग के निदेशक मंडल की अध्यक्ष सुजैन स्टॉल्ट ने आईएएनएस के साथ बातचीत में बताया, “समय के साथ महिलाओं की स्थिति में बदलाव आया है। भारत और नीदरलैंड्स में महिलाओं की स्थिति में ज्यादा अंतर नहीं है। जब 85 साल पहले 1929 में होटलस्कूल की स्थापना हुई थी तो यहां पुरुषों का ही बोलबाला था, लेकिन अब यहां 60 फीसदी छात्राएं और 40 फीसदी पुरुष हैं।”
भारत और नीदरलैंड्स के होटल उद्योग में अतंर बताते हुए सुजैन ने कहा, “भारत के मुकाबले यूरोप में हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र काफी लोकप्रिय है और इसे सम्मान की दृष्टि से भी देखा जाता है। होटल मैनेजमेंट की डिग्री प्राप्त महिलाओं को भी सम्मान के साथ अपने करियर को दिशा देने का अवसर मिलता है।”
भारत से हर साल काफी छात्र दुनियाभर में होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करने जाते हैं। नीदरलैंड्स के होटलस्कूल द हेग में वर्ष 2014 से 2016 के बीच भारत के लगभग 1,000 छात्रों ने दाखिला लिया है, जिसमें लगभग आधी संख्या छात्राओं की है।
नीदरलैंड्स विशेष रूप से यूरोप में होटल मैनेजमेंट काफी खर्चीला क्षेत्र है। हॉस्पिटैलिटी की पढ़ाई के लिए छात्र को काफी खर्च करना पड़ता है।
सुजैन कहती हैं कि दोनों देशों के बीच प्रारंभिक शिक्षा में भी खासा अंतर है। भारत की खास बात यह है कि इसकी विविधता इसे सबसे अलग बनाती है। यहां विभिन्न संस्कृतियों और बोलियों के लोग साथ मिलकर सीखते हैं।
जर्मनी मूल की सुजैन होटलस्कूल द हेग’ के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की पहली महिला अध्यक्ष हैं। वह नीदरलैंड्स में महिलाओं की स्थिति के बारे में कहती हैं, “होटलस्कूल की स्थापना 1929 में हुई थी। उस समय यहां सिर्फ पुरुषों का ही बोलबाला हुआ करता था, लेकिन अब स्थिति एकदम विपरीत है। अब यहां 60 फीसदी छात्राएं और 40 फीसदी छात्र हैं।”
वह कहती हैं, “भारत में काम करने के तरीके में बदलाव लाने की जरूरत है। अच्छा काम करने और खुद को साबित करने के लिए लंबे समय तक काम करने की जरूरत नहीं है। हम सुनियोजित तरीके से कम समय में काम कर अच्छे नतीजे भी दे सकते हैं। भारत में काम करने की स्थितियों में बदलाव लाने की जरूरत है, ताकि लोग बाहर पढ़ने न जाएं और अपने देश में ही काम कर कमा सकें।”
सुजैन ने कहा, “सुनने में आया है कि यहां वेतन अच्छा नहीं मिलता। अगर कर्मचारियों को वेतन अच्छा मिलेगा तो वे देश से बाहर जाकर काम करने के लिए लालायित नहीं होंगे।”
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आव्रजन नीतियों का विरोध भी हो रहा है, ऐसे में नीदरलैंड्स में किस तरह का माहौल है? इस पर वह कहती हैं, “इस समय यूरोप उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। यूरोप में पैसे के बजाय क्वालिटी ऑफ लाइफ का महत्व बढ़ गया है। नीदरलैंड्स में फिलहाल 1,50,000 भारतीय रहते हैं, जिनमें बड़ी तादाद छात्रों की हैं। ट्रंप की नीतियों का असर अभी यहां देखने को नहीं मिला है। नीदरलैंड्स एक खुली अर्थव्यवस्था वाला देश है, जहां किसी भी देश और धर्म के लोगों का स्वागत है। नीदरलैंड्स में योग बहुत लोकप्रिय है।”
होटलस्कूल द हेग में दो कैंपस हैं, जहां अत्याधुनिक तरीके से छात्रों को शिक्षा दी जा रही है। होटलस्कूल द हेग ने भारत के दिल्ली स्थित ‘यूईआई ग्लोबल’ संस्थान के साथ 11 साल पहले करार किया था, जो बदस्तूर जारी है।
सुजैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कामकाज से प्रभावित हैं और उनसे निजी रूप से मिलना भी चाहती हैं। वह कहती हैं, “मोदी जी के बारे में काफी सुना और पढ़ा है। मैं उनके काम करने के तरीकों से प्रभावित हूं। उनके मेक इन इंडिया अभियान से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। उनके नेतृत्व में भारत अच्छा कर रहा है और मैं उनसे निजी रूप से मिलना चाहूंगी।”