यह शोध ओएसयू और ओरेगन डिपार्टमेंट ऑफ फिशरीज एंड वाइल्ड लाइफ की सहयोगी परियोजना के तहत किया गया है, जो समुद्री और हैचरी मछलियों के डीएनए के स्तर पर भिन्नता के अनुवांशिक सबूत प्रदान करता है।
ओएसयू कॉलेज ऑफ साइंस के इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के प्रोफेसर माइकल ब्लूइन ने बताया, “हैचरी का कृत्रिम वातावरण प्राकृतिक चयन के दबाव का कारण बनता है।”
उन्होंने बताया, “50 हजार मछलियों वाले एक ठोस डिब्बे में मछलियों की भीड़ होती है, यहां खुले समंदर जैसी स्वंतत्रता नहीं होती है। साथ ही मछलियों को दिया जाने वाला आहार स्वछंद धारा के भोजन से काफी अलग होता है।”
हैचरी में मछलियों की भीड़ में उनके चोटिल होने की संभावना ज्यादा होती है और रोग भी जल्दी फैलता है। इस अध्ययन के माध्यम से कुछ अनुवांशिकी परिवर्तनों की जानकारी मिली है, जो हैचरी के नए वातावरण में मछलियों की प्रतिक्रिया जानने में मदद करेंगे।
हैचरी मछली की भिन्नता के सवाल पर ब्लून ने कहा कि इस शोध से हैचरी मछलियों की भिन्नता को पहचानने और उस समस्या का समाधान करने में मदद मिलेगी। हैचरी के वातावरण में होने वाले आनुवंशिक परिवर्तनों के बारे में बेहतर समझ विकसित हो पाएगी, जिससे समुद्र में रहने वाली मछलियों के समान ही हैचरी मछलियों का उत्पादन किया जा सकेगा।
यह शोध पत्रिका ‘नेचर कम्यूनिकेशन’ में प्रकाशित किया गया है।