शिमला, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश में अधीनस्थ न्यायालयों के कर्मचारियों के वेतन, भत्ते व अन्य सुविधाओं में वृद्धि के लिए शेट्टी आयोग की सिफारिशों को लागू न करने को लेकर उच्च न्यायालय से फटकार सुनने के बाद प्रदेश सरकार ने बुधवार को इसे लागू करने के लिए एक संशोधन विधेयक पारित कर दिया।
इस विधेयक के साथ ही अधीनस्थ न्यायालयों के कर्मचारियों के वेतन वृद्धि पर विवाद अंतत: समाप्त हो गया।
सरकार का यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उच्च न्यायालय ने 17 मार्च को राज्य सरकार को राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (शेट्टी आयोग) की सिफारिशें लागू करने के लिए दो सप्ताह का वक्त दिया था।
मुख्य न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर तथा न्यायाधीश तारलोक सिंह चौहान की एक खंडपीठ ने तीन जनवरी, 2014 को न्यायालय के आदेश की तामील नहीं करने के लिए मुख्य सचिव, प्रधान सचिव (वित्त) तथा प्रधान सचिव (कानून) के खिलाफ अवमानना का एक नोटिस जारी किया।
दिलचस्प यह है कि जिस दिन न्यायालय ने सरकारी अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर न्यायालय में पेश होने का सम्मन जारी किया था, उसी दिन विधेयक को बिना किसी चर्चा के ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
विधेयक को पेश करते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ अदालत के कर्मचारी (वेतन, भत्ता एवं सेवा की अन्य शर्ते) अधिनियम, 2005 को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि शेट्टी आयोग की सिफारिशों को लागू करने में यह सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन है।
उच्च न्यायालय ने सरकार को शेट्टी आयोग की सिफारिशों को एक अप्रैल, 2003 से लागू करने का भी निर्देश दिया है।