काठमांडू, 10 मई (आईएएनएस)। नेपाल में 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप के बाद हिमपात, भूस्खलन तथा हिमस्खलन के कारण देश के तीन दूरवर्ती जिले में राहत एवं बचाव कार्य बेहद प्रभावित हुआ है, जहां अधिकारियों को आशंका है कि अभी भी 100 से अधिक लोगों को बचाने की जरूरत है।
काठमांडू, 10 मई (आईएएनएस)। नेपाल में 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप के बाद हिमपात, भूस्खलन तथा हिमस्खलन के कारण देश के तीन दूरवर्ती जिले में राहत एवं बचाव कार्य बेहद प्रभावित हुआ है, जहां अधिकारियों को आशंका है कि अभी भी 100 से अधिक लोगों को बचाने की जरूरत है।
देश के एक सबसे बड़े पैदल मार्ग पर हिमस्खलन हुआ है, जिससे भूकंप प्रभावित इलाके में राहत कार्य में बड़ी बाधा आई है।
जिला आपदा प्रबंधन कमेटी के सदस्य सचिव गजेंद्र कुमार ठाकुर और एक स्थानीय विकास अधिकारी ने बताया कि नेपाली सेना के राहत दल ने इलाके से 90 शवों को निकाला है, जिसमें नौ विदेशी हैं।
लेकिन विदेशी नागरिकों सहित 150 लोगों का पता नहीं चल पाया है।
लेफ्टिनेंट कर्नल अनूप जंग थापा ने कहा कि हिमस्खलन से बड़ी मात्रा में मलबे का ढेर लगा गया है, जिससे राहतकर्मियों को प्रभावित इलाके में जाने में दिक्कत हो रही है।
विनाशकारी भूकंप से इन जिलों में 160 मकान ढह गए हैं।
भूकंप के बाद 150 झटके महसूस किए गए हैं, जिससे और भूस्खलन हुआ है।
183 स्थानीय नागरिक, 20 श्रमिक, 80 पर्यटक, 40 पर्यटक गाइड और 10 सैन्यकर्मी इलाके से लापता हैं।
भूकंप के केंद्र उत्तरी गोरखा के 15 गांवों का हिमस्खलन के कारण संपर्क टूट गया है। हिमस्खलन ने सड़क को बाधित कर दिया है, जो कि इन गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ता है।
केरौजा गंव के निवासी सुक बहादुर गुरुं ग ने फोन पर बताया, “दर्जनों भूस्खलन के कारण राहत कार्य प्रभावित हुआ है। लिंक रोड के विभिन्न हिस्सों में दरारें पड़ गई हैं।”
इन गांवों के निवासियों ने बताया कि भूस्खलन में कई लोग दब गए हैं।
धान प्रसाद गुरुं ग ने कहा, “भूस्खलन और सड़कों पर आई दरारों के कारण राहतकर्मी इन गांवों में नहीं पहुंच सकते।”
घबराए परेशान ग्रामीणों ने पनबिजली केंद्रों, स्कूलों, बौद्ध मंदिरों और सामुदायिक भवनों में पनाह ले रखी है।
मार्ग के साफ न हो पाने के कारण स्थानीय गोरखा प्रशासन तिब्बत सीमा के करीब दो प्रवेश द्वारों को खोलने पर विचार कर रहा है, ताकि 14 गांवों तक राहत सामग्री पहुंचाई जा सके।
सुक बहादुर ने बताया कि केरौजा गांव के 885 घरों में से सिर्फ तीन घर ही मौजूद हैं, बाकी सब नष्ट हो गए हैं।
दूरवर्ती रासुआ जिले में 25 अप्रैल से 900 से अधिक लोग राहत कार्य का इंतजार कर रहे हैं।