उन्होंने कहा कि करोड़ों महिलाएं घरेलू हिंसा और विभिन्न जनपदों में लंबित परिवारिक न्यायालयों के विवादों से ग्रसित हैं। हिंदू महिलाएं अपनी यातनाओं के प्रति समाज के गणमान्य व्यक्तियों एवं क्षेत्रीय प्रतिनिधियों से अपनी व्यथा बयान करती हैं, लेकिन उन्हें सांत्वना के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता।
डॉ. मसूद ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में महिला कल्याण की भावना से काम करना चाहती है तो प्रत्येक जनपद के पारिवारिक न्यायालयों में लंबित विवादों की सुनवाई दिन-प्रतिदिन करने के आदेश तत्काल प्रभाव से पारित होने चाहिए। ऐसा होने पर ही हिंदू महिलाएं अपनी यातनाओं एवं कष्टों से छुटकारा पा सकती हैं।
प्रदेश रालोद अध्यक्ष ने कहा कि यदि शीघ्र ही केंद्र और प्रदेश सरकार इस संदर्भ में निर्णय नहीं लेतीं, तो सभी जनपदों में पार्टी कार्यकर्ता धरना-प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे, जिसका पूरा उत्तरदायित्व केंद्र और प्रदेश सरकार का होगा।