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 हिंदी भाषी राज्यों में अंग्रेजी की जरूरत | dharmpath.com

Sunday , 20 April 2025

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हिंदी भाषी राज्यों में अंग्रेजी की जरूरत

नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। देश के हिंदी भाषी राज्यों को एक बार फिर से याद दिलाने की जरूरत है कि अंग्रेजी विश्व में सर्वाधिक लोगों द्वारा बोली जानेवाली विदेशी भाषा है। भारत सरकार एवं सेवा कर के मामले में अदालतों द्वारा दिए गए एक फैसले के अनुसार अंग्रेजी अब हालांकि विदेशी भाषा नहीं रही।

नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। देश के हिंदी भाषी राज्यों को एक बार फिर से याद दिलाने की जरूरत है कि अंग्रेजी विश्व में सर्वाधिक लोगों द्वारा बोली जानेवाली विदेशी भाषा है। भारत सरकार एवं सेवा कर के मामले में अदालतों द्वारा दिए गए एक फैसले के अनुसार अंग्रेजी अब हालांकि विदेशी भाषा नहीं रही।

विश्व के किसी भी देश की यात्रा करने एवं वहां के लोगों के साथ संवाद स्थापित करने की बात हो या व्यावसायिक रूप से अधिक प्रभावी होने के लिए भी ‘स्पोकेन इंगलिश’ की क्षमता का काफी महत्व है। अंग्रेजी की जानकारी के बगैर अपने व्यापार को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप देना असंभव-सा है।

विश्व में विज्ञान की भाषा के रूप में अंग्रेजी स्थापित है। उदाहरण के लिए कम्प्यूटर एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारी मूलत: अंग्रेजी में ही उपलब्ध है। शोध करते समय दुनिया के किसी भी विषय पर जानकारी एकत्र करने के लिए अंग्रेजी भाषा की जानकारी होना अत्यावश्यक है।

भारत सरकार के नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग द्वारा इसे हालांकि एक भाषा मात्र न मानकर ‘स्किल’ के रूप में मान्यता दी गई है।

मैं एक ऐसे राज्य बिहार में जन्मा हूं और अंग्रेजी शिक्षा को विस्तारित करने का प्रयास कर रहा हूं जहां चार दशकों से लोहियावादी विचारधारा के कारण छात्र 10वीं की परीक्षा अंग्रेजी ज्ञान के बगैर पास कर रहे हैं। वैसे, अब कुछ दिनों से बिहार की स्थिति भी बदली है और राज्य सरकार द्वारा शिक्षकों एवं छात्रों के लिए अंग्रेजी स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं, जिसका परिणाम काफी सकारात्मक रहा है।

अभिभावकों एवं छात्रों के बीच किए गए कई सर्वे में यह बात उभरकर सामने आई है कि अब लोगों में अंग्रेजी शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।

वर्तमान में बिहार ने अंग्रेजी के महत्व को समझा है और किए गए प्रयास का लाभ भी मिलना शुरू हो चुका है और नौकरी बाजार में बिहार के युवा अब अधिक प्रभावी रूप से अपनी भूमिका निभा रहे हैं तथा इसका लाभ भी उन्हें मिल रहा है।

कई वर्ष पहले जब हमने अपनी संस्था ‘ब्रिटिश लिंग्वा’ की स्थापना की थी, उस समय इस भाषा का महत्व इतना अधिक परिलक्षित नहीं होता था। परंतु समय के साथ-साथ बिहार के लोगों ने भी इसके महत्व को समझा और आज के समय में इसका लाभ उठा रहे हैं।

अंग्रेजी की जानकारी ने न केवल उन्हें रोजगार पाने लायक बनाया है, बल्कि उनकी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्तर को भी एक स्तर प्रदान किया है। अगर आज बिहारियों की बिहार के बाहर छवि बदली है तो इसमें राज्य के उन युवाओं की भी बड़ी भूमिका है जो अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से पढ़े हैं और तकनीकी रूप से अधिक दक्ष हैं।

(बीरबल झा इन दिनों बिहार के महादलित समुदाय के युवाओं में ‘स्पोकेन इंग्लिश’ प्रशिक्षण योजना संचालित कर रहे हैं)

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