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 हिंदी को तकनीक के असर से बचाने की पहल | dharmpath.com

Monday , 25 November 2024

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हिंदी को तकनीक के असर से बचाने की पहल

भोपाल, 3 जनवरी (आईएएनएस)। बदलते दौर में आम आदमी की जिंदगी का हिस्सा बन गई है तकनीक। इससे जहां सुविधाएं पाना आसान हो रहा है तो वहीं भाषा भी इसके असर से बच नहीं पा रही है, इससे भाषा के हिमायती चिंतित हैं। उन्हें लगता है कि किताबों का दूर होना और तकनीक का हावी होना भाषा को कमजोर कर रहा है, लिहाजा भाषा (हिंदी) समृद्ध रहे, इसके लिए मध्यप्रदेश की राजधानी में एक पुस्तकालय शुरू किया गया है।

भोपाल, 3 जनवरी (आईएएनएस)। बदलते दौर में आम आदमी की जिंदगी का हिस्सा बन गई है तकनीक। इससे जहां सुविधाएं पाना आसान हो रहा है तो वहीं भाषा भी इसके असर से बच नहीं पा रही है, इससे भाषा के हिमायती चिंतित हैं। उन्हें लगता है कि किताबों का दूर होना और तकनीक का हावी होना भाषा को कमजोर कर रहा है, लिहाजा भाषा (हिंदी) समृद्ध रहे, इसके लिए मध्यप्रदेश की राजधानी में एक पुस्तकालय शुरू किया गया है।

राजधानी के पॉश इलाके प्रोफेसर कॉलोनी में कुछ जुनूनी युवाओं ने नए साल पर ‘शेयर माय बुक ओपन लाइब्रेरी’ शुरू की है। इस पुस्तकालय में बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक की अभिरुचि के मुताबिक पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं। यहां उपन्यास हैं तो पाठ्यक्रम से संबंधित पुस्तकें भी हैं।

यह पुस्तकालय स्कूल फॉर हैप्पीनेस व दक्ष सोल्यूशन ने मिलकर शुरू किया है। शुरुआती दौर में यहां 500 पुस्तकें हैं, तो लक्ष्य 10 हजार पुस्तकों का रखा गया है। ये पुस्तकें विभिन्न लोगों द्वारा दान स्वरूप उपलब्ध कराई गई हैं।

स्कूल फॉर हैप्पीनेस के अध्यक्ष आशीष नामदेव ने आईएएनएस को बताया, “देश और दुनिया डिजिटल हो रही है, युवा इसमें सबसे आगे हैं, पढ़ने की ललक कम होने के चलते लोगों का शब्दकोष (ज्ञान) कम हो रहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि तकनीक का उपयोग करने वाले कम शब्दों का सहारा लेते हैं। बदलते दौर में लोगों की भाषा समृद्ध रहे और उन्हें अपनी अभिरुचि के मुताबिक पठन सामग्री मिले इसके लिए यह पुस्तकालय शुरू किया गया है।”

नामदेव बताते हैं कि उनका अनुभव रहा है कि कई बच्चे पाठ्यक्रम की पुस्तकों के अभाव में अच्छे से पढ़ाई नहीं कर पाते, लिहाजा उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर नि:शुल्क पुस्तकालय खोलने का विचार किया। उसी के बाद एक योजना बनाई गई और ‘शेयर माय बुक ओपन लाइब्रेरी’ ने मूर्तरूप लिया।

इस पुस्तकालय में पाठ्यक्रम की पुस्तकें, प्रतियोगी परीक्षा की सामग्री, धार्मिक ग्रंथ, बच्चों के लिए बाल कहानियां उपलब्ध रहेंगी। यहां हर उम्र वर्ग के लोग आकर मनपसंद पुस्तकें पढ़ सकेंगे और अपने शब्दज्ञान को समृद्ध बनाए रख सकेंगे।

अभिषेक सोनी ने बताया, “पहले दिन हमारे पास 500 किताबों का लक्ष्य पूरा हो चुका है। हमारा लक्ष्य एक वर्ष में पुस्तकालय में 10 हजार पुस्तके लाने का है। उसके बाद हम नि:शुल्क पुस्तकें वितरित करना भी शुरू करेंगे।”

संस्था से जुड़े अंकित भट्ट ने बताया कि ‘शेयर माय बुक ओपन लाइब्रेरी’ पूरी तरह से नि:शुल्क है। छात्र-छात्राएं और अन्य वर्ग के लोग भी यहां अध्ययन करने आ सकते हैं। यह पुस्तकालय सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक खुलेगा।

हिंदी को तकनीक के असर से बचाने की पहल Reviewed by on . भोपाल, 3 जनवरी (आईएएनएस)। बदलते दौर में आम आदमी की जिंदगी का हिस्सा बन गई है तकनीक। इससे जहां सुविधाएं पाना आसान हो रहा है तो वहीं भाषा भी इसके असर से बच नहीं प भोपाल, 3 जनवरी (आईएएनएस)। बदलते दौर में आम आदमी की जिंदगी का हिस्सा बन गई है तकनीक। इससे जहां सुविधाएं पाना आसान हो रहा है तो वहीं भाषा भी इसके असर से बच नहीं प Rating:
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