नई दिल्ली, 12 मार्च (आईएएनएस)। सरकार ने जहां कहा है कि कोयला ब्लॉक नीलामी से देश को दो लाख करोड़ रुपये की आय सुनिश्चित हो चुकी है, वहीं कोयला घोटाला मामले में उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत द्वारा समन भेजे जाने को लेकर देश के उद्योग जगत ने गुरुवार को आशंका जाहिर की कि इसके कारण देश का निवेश माहौल प्रभावित हो सकता है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के महासचिव ए. दीदार सिंह ने यहां एक बयान जारी कर कहा, “न्यायपालिका में हमारी पूर्ण निष्ठा है, फिर भी इस तरह के घटनाक्रम का समग्र निवेश माहौल पर असर पड़ेगा।”
उन्होंने कहा, “सरकार जब निवेश के लिए पारदर्शी, सक्षम और न्यायपूर्ण व्यवस्था बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है, उस समय इस तरह के घटनाक्रम से उद्योग, सरकार और समाज के बीच गैरजरूरी रूप से आपसी विश्वास क्षीण होगा।”
भारतीय उद्योग परिसंघ ने बुधवार को कहा था कि इस तरह के आदेश से निवेशकों में अनिश्चितता और बेचैनी घर कर सकती है और उन्हें देश में निवेश करने से हतोत्साहित कर सकती है।
परिसंघ ने कहा, “हम मानते हैं कि बिड़ला उद्योग जगत का विकासशील चेहरा हैं, जो पूंजीवादी मित्रवाद का लाभ नहीं उठाता और अपना कारोबार नियमों के तहत चलाता है।”
परिसंघ ने कहा, “अनिश्चितता का माहौल बनाने से निवेशकों में गलत संकेत जाता है।”
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडिया (एसोचैम) के अध्यक्ष राणा कपूर ने एक ऐसा माहौल बनाने की जरूरत बताई, जहां उद्योगपति खुलकर सरकार, नौकरशाही तथा नियामकों से सामान्य कारोबारी गतिविधि के तहत बात कर सकें और उन्हें इस बात का डर न हो कि भविष्य में वैधानिक कार्रवाई की जाएगी या उनके खिलाफ जांच चलाई जाएगी।
कपूर ने कहा, “अधिकतर विकसित देशों में इसी तरह का माहौल है। भारत में भी दशकों से ऐसी परिपाटी रही है, जिसमें प्रमुख उद्योगपति नियमित तौर पर मंत्री और नौकरशाह से सांगठनिक लक्ष्यों के लिए मिलते रहे हैं।”
सीबीआई की एक विशेष अदालत ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पी.सी. पारेख को यह कहते हुए समन भेजा कि 2005 में तालाबिरा-2 ब्लॉक हिंडाल्को को दिए जाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री को आपराधिक षड्यंत्र में शामिल किया गया।
शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द कोयला ब्लॉकों की ई-नीलामी को दूसरा दौर खत्म होने वाला है। कोयला और बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को संसद में कहा कि 33 ब्लॉकों की नीलामी से सरकार को 2,09,740 करोड़ रुपये की आय सुनिश्चित होने का अनुमान है।
गोयल ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा, “यहीं नहीं बिजली उत्पादन के लिए कोयले पर खर्च 96,971 करोड़ रुपये कम हो जाएगा, जिसके कारण बिजली की दर भी कम होगी।”
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष सितंबर में 1993 से 2010 के बीच आवंटित 204 कोयला ब्लॉकों का लाइसेंस रद्द कर दिया था और उनका फिर से आवंटन करने के लिए कहा था।