(खुसुर-फुसुर)– मप्र में सत्ता के केंद्र के विरुद्ध अब खुसुर-फुसुर होने लगी है,कुछ मित्रों के बीच बैठे एक नेताजी अपना दर्द बयाँ करते नहीं चूकते उनका कहना है की कभी साथी रहे अब परेशानी पड़ने पर मुकर जाते हैं.राजनीती तो यह भी कहती है की कभी संगठन के लिए अपनी जान की बाजी लगा देने वाले ये सूरमा की आज प्रशासन नहीं सुनता,उल्टा उन पर ही मामला दर्ज कर दिया जाता है.
दर्द बयां करते समय यह भी सामने आया की मुसीबतों से लड़ते समय जब उन्होंने अपने साथी मुखिया को याद किया तो प्रदेश की सभी शक्तियों को अपने पास रखने वाले साथी ने कहा की वो क्या कर सकता है और नेताजी आहें भर कर रह गए.
मप्र भाजपा में शक्तियों का केंद्र एक स्थान पर जड़ हो गया है बाकी को सिर्फ झुनझुना पकड़ा दिया जाता है लेकीन अब खुसर-फुसुर संगठन और सत्ता के गलियारों में शुरू हो गयी है और पीड़ित-दुखी अपने देवताओं को मनाने में जुट गए हैं.