नई दिल्ली, 20 सितम्बर (आईएएनएस)। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भूमि अधिग्रहण विधेयक के मुद्दे पर ‘हाथ और हल’ के आगे झुकना पड़ा।
नई दिल्ली, 20 सितम्बर (आईएएनएस)। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भूमि अधिग्रहण विधेयक के मुद्दे पर ‘हाथ और हल’ के आगे झुकना पड़ा।
कांग्रेस अध्यक्ष ने राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में किसान सम्मान रैली में यह बात कही। रैली भूमि विधेयक पर पार्टी की ‘जीत’ के उपलक्ष्य में की गई। रैली में सोनिया मोदी सरकार पर जमकर बरसीं। उन्होंने सरकार पर हर मोर्चे पर असफल रहने का आरोप लगाया।
सोनिया ने कहा कि मोदी के पास बस अपने औद्योगिक घरानों के मित्रों के लिए वक्त है। किसानों और मजदूरों के लिए उनके पास वक्त नहीं है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार तनाव पैदा करने में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि जरूरी चीजों के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं।
सोनिया ने कहा, “जैसा कि इनकी आदत है, मोदी सरकार बस बातों और भाषणों में लगी हुई है। यह लोगों का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटकाने वाले कामों को बढ़ावा दे रही है। यह ऐसे तनाव पैदा करना चाहती है जो देश के भविष्य और राष्ट्र की एकता के लिए खतरा होंगे। यह हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है और हमें इसका मिलकर सामना करना होगा।”
सोनिया ने कहा कि मोदी ने ‘काले भूमि विधेयक’ की गंभीरता और इसके खिलाफ आंदोलन की अनदेखी की। लेकिन, जब हाथ और हल मिल गए तो उन्हें इनके आगे सिर झुकाना पड़ा।
उन्होंने कहा कि भूमि विधेयक का पारित न होना किसी एक की नहीं बल्कि उन सभी की जीत है जिन्होंने इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी।
सोनिया ने कहा, “वह भूमि विधेयक के बल पर जमीन छीनना चाहते थे। आप (किसान) जानतोड़ मेहनत करते हैं कि हमें खाना मिल सके। आप सिर्फ हमारे अन्नदाता ही नहीं हैं बल्कि हमारे भाग्य निर्माता भी हैं।”
सोनिया ने कहा कि संघर्ष खत्म नहीं हुआ है बल्कि खिसक कर राज्यों की तरफ चला गया है।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री जो केंद्र में नहीं कर सके, उसे राज्यों के जरिए कराना चाह रहे हैं। अगर हम सचेत नहीं रहे तो हमारी लड़ाई व्यर्थ जाएगी और आप अपनी जमीनों से हाथ धो बैठेंगे।”
उन्होंने कहा कि मोदी कहते हैं कि कांग्रेस विकास की राह में रोड़ा डाल रही है। सोनिया ने कहा, “ऐसी बातें सुनकर हंसी आती है और इनके लिए दुख भी होता है। मैं उनसे (मोदी से) पूछना चाहती हूं कि उनकी विचारधारा के लोग तब कहां थे जब देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। हमारी जिस पार्टी ने आजादी की लड़ाई लड़ी, वह क्या विकास के रास्ते की बाधा बन सकती है?”