नई दिल्ली-देश के विभिन्न राज्यों में केंद्र सरकार द्वारा सैन्य भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना के व्यापक विरोध के बीच हरियाणा के रोहतक में खाप नेताओं और किसान आंदोलन के प्रतिनिधियों ने कहा है कि वे योजना का हिस्सा बनने वाले युवाओं का बहिष्कार करेंगे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, रोहतक जिले के सांपला में बुधवार को विभिन्न खापों के प्रतिनिधियों की बैठक में हरियाणा के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब के खाप संगठन और छात्र संगठनों ने भी हिस्सा लिया था.
इसके साथ ही योजना का विरोध कर रहे युवाओं को पूर्ण समर्थन देने के लिए सांपला में सर छोटू राम की प्रतिमा के पास अनिश्चितकालीन धरना भी शुरू किया गया है.
एनडीटीवी के अनुसार, इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे धनखड़ खाप के प्रमुख ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा, ‘हम इस भर्ती के लिए आवेदन करने वालों को सामाजिक रूप से अलग-थलग करने का प्रयास करेंगे. हम इस योजना का बहिष्कार कर रहे हैं जो ‘अग्निवीर के नाम पर युवाओं को मजदूरों के तौर पर काम पर रखना चाहती है.’
यह पूछे जाने पर कि क्या यह आवेदकों का बहिष्कार है, उन्होंने कहा, ‘हम उनके लिए ‘बहिष्कार’ शब्द का उपयोग नहीं कर रहे हैं, लेकिन समुदाय ऐसे लोगों से दूरी बनाएगा.’
उन्होंने आगे बताया कि काफी विचार-विमर्श करने के बाद विभिन्न स्थानों से आए प्रतिनिधियों ने कई फैसले लिए. उन्होंने कहा कि पहला फैसला अग्निपथ योजना के विरुद्ध हुए प्रदर्शनों के दौरान युवकों के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे वापस लेने का है.
बुधवार को हुई बैठक में लिए गए निर्णयों की मांगों को लेकर 24 जून को कलेक्ट्रेट में ज्ञापन देने की बात भी कही गई है. इसके अलावा महापंचायत ने भाजपा-जजपा पार्टी के सार्वजनिक कार्यक्रमों का बहिष्कार करने का भी ऐलान किया है.
खाप नेता धनखड़ ने यह भी बताया कि उन्होंने किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी से 10,000 रुपये से अधिक के किसी भी उत्पाद की खरीदारी न करने का भी निर्णय लिया है. उन्होंने कहा, ‘यह कॉरपोरेट कंपनियां हैं जो अग्निपथ जैसी योजनाओं को शुरू करके केंद्र सरकार के जरिये अपने एजेंडा को आगे बढ़ा रही हैं. हमारा मकसद उनके उत्पादों का बहिष्कार करके उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाना है.’
इस बीच, किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सांपला में बुधवार की बैठक का उद्देश्य बिखरे हुए प्रदर्शनकारियों को एक जगह एकजुट करना था.
उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के सेवानिवृत्ति के बाद अग्निवीरों को नौकरी देने के बयान का मखौल उड़ाते हुए कहा कि देशभर में हरियाणा में बेरोजगारी दर सबसे अधिक है और अगर मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर चिंतित हैं, तो उन्हें विधानसभा में गारंटीकृत नौकरी का प्रस्ताव पारित करना चाहिए.
गौरतलब है कि बीते 14 जून को केंद्र सरकार ने दशकों पुरानी रक्षा भर्ती प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए थलसेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती संबंधी अग्निपथ योजना की घोषणा की थी, जिसके तहत सैनिकों की भर्ती सिर्फ चार साल की कम अवधि के लिए संविदा आधार पर की जाएगी.
योजना के तहत तीनों सेनाओं में इस साल करीब 46,000 सैनिक भर्ती किए जाएंगे. योजना के तहत 17.5 साल से 21 साल तक के युवाओं को चार साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा और उनमें से 25 फीसदी सैनिकों को अगले 15 और साल के लिए सेना में रखा जाएगा.
बाद में सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए अधिकतम आयु सीमा को बढ़ाकर 23 साल कर दिया. इस नई योजना के तहत भर्ती रंगरूटों को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा.
अग्निपथ योजना के तहत रोजगार के पहले वर्ष में एक ‘अग्निवीर’ का मासिक वेतन 30,000 रुपये होगा, लेकिन हाथ में केवल 21,000 रुपये ही आएंगे. हर महीने 9,000 रुपये सरकार के एक कोष में जाएंगे, जिसमें सरकार भी अपनी ओर से समान राशि डालेगी. इसके बाद दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष में मासिक वेतन 33,000 रुपये, 36,500 रुपये और 40,000 रुपये होगा. प्रत्येक ‘अग्निवीर’ को ‘सेवा निधि पैकेज’ के रूप में 11.71 लाख रुपये की राशि मिलेगी और इस पर आयकर से छूट मिलेगी.
यह भर्ती ‘अखिल भारतीय, अखिल वर्ग’ के आधार पर की जाएगी. इससे उन कई रेजींमेंट की संरचना में बदलाव आएगा, जो विशिष्ट क्षेत्रों से भर्ती करने के अलावा राजपूतों, जाटों और सिखों जैसे समुदायों के युवाओं की भर्ती करती हैं.
सशस्त्र बलों द्वारा समय-समय पर घोषित की गई संगठनात्मक आवश्यकता और सेना की नीतियों के आधार पर चार साल की सेवा पूरी होने पर ‘अग्निवीर’ को सशस्त्र बलों में स्थायी नामांकन के लिए आवेदन करने का अवसर प्रदान किया जाएगा.
ज्ञात हो कि ‘अग्निपथ’ को वापस लिए जाने की मांग को लेकर जारी प्रदर्शनों के बीच बीते सोमवार को सेना ने जुलाई से इसके तहत नौकरी के आकांक्षी युवाओं के लिए अनिवार्य ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को लेकर एक अधिसूचना जारी की है.
अधिसूचना में सेना ने कहा कि नए मॉडल के तहत नौकरी के इच्छुक सभी युवाओं के लिए सेना की भर्ती वेबसाइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है, जो जुलाई से शुरू होगी.
इससे पहले देश के सैन्य नेतृत्व ने बीते 19 जून को घोषणा की थी कि नई भर्ती योजना के लिए आवेदकों को इस प्रतिज्ञा के साथ एक शपथ-पत्र देना होगा कि उन्होंने किसी भी विरोध, आगजनी या आंदोलन में भाग नहीं लिया है.