हरिद्वार, 21 मार्च-आध्यात्मिक राजधानी कही जाने वाली हरिद्वार नगरी इन दिनों भक्ति के रंग में डूबी है। आज से प्रारंभ हुए शक्ति महापर्व चैत्र नवरात्रि के अवसर पर विश्व भर के साधक हरिद्वार के विभिन्न आश्रमों एवं गंगाघाटों पर आध्यात्मिक अनुष्ठान हेतु पहुंचे हैं।
चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख केन्द्र शांतिकुंज में विश्व भर से 20 हजार से अधिक साधक नवरात्रि साधना हेतु पहुंचे हैं।
गायत्री साधकों एवं देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को साधक संजीवनी देते हुए डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि पर्व मुहूर्त अध्यात्म की ²ष्टि से ही नहीं, वरन विज्ञान की ²ष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, “प्रकृति में विशेष शक्ति प्रवाहों के साथ इन दिनों साधना के नियम का पालन करते हुए उपासना करने से आत्म कल्याण और जीवन साधना की प्रगति का द्वार खुलता है।”
उन्होंने कहा कि अपने भीतर श्रेष्ठतम को उभारने और उन्हें आमंत्रण देने की विधा का नाम ही गायत्री साधना है।
संवत्सर की यह कालगणना गौरवशाली एवं पूर्णतया पंथ निरपेक्ष है। ब्रह्म पुराण के अनुसार, चैत्रमास के प्रथम दिन ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि संरचना प्रारंभ की और इसे ही भारतीय मान्यता के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष का आरंभ मानते हैं।
पड्या ने कहा, “इसी प्रतिपदा के दिन कई हजार वर्ष पूर्व उज्जयनी नरेश महाराज विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांत शासकों से भारत-भू का रक्षण किया और इसी दिन से काल गणना प्रारंभ की।” उन्होंने कहा कि इस नवसंवत्सर को ‘कीलक’ का नाम दिया गया है।
नवसंवत्सर के सूर्य की प्रथम किरण के साथ ही गंगा घाटों पर सूर्य अघ्र्यदान के साथ साधक अपनी विशेष साधना में लीन हो गए हैं।